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शिक्षिका के जज्बे को सलाम, 53 छात्रों का जीवन संवारने के लिए रोजाना दांव पर लगाती हैं अपनी जान

Published: Sep 12, 2019 02:30:46 pm

Submitted by:

Vivhav Shukla

बिनोदिनी सामल पिछले 11 वर्षों से राठीपाल प्राथमिक विद्यालय में पढ़ा रही हैं
शिक्षिका बिनोदिनी को स्कूल पहुंचने के लिए गर्दन तक पानी में उतरना पड़ता है

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नई दिल्ली। ‘ गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय,बलिहारी गुरु आपकी, गोविंद दियो बताय’ इस दोहे का सीधा मतलब है कि गुरु का स्थान भगवान से भी ऊपर होता है। हो भी क्यों ना इस दुनियां में बहुत से ऐसे गुरु हैं जो बिना किसी लोभ-लालच के अपना पूरा जीवन अपने छात्रों पर न्योछावर कर देते हैं। ऐसी ही एक गुरु हैं बिनोदिनी सामल। ओडिशा के ढेंकनाल जिला कि रहने वाली 50 वर्षीय बिनोदिनी बच्चों को पढाने के लिए 11 सालों से नदी पार करके स्कूल जा रही हैं। सबसे हैरानी वाली बात ये है कि बिनोदिनी ने अब तक एक बार भी क्लास मिस नहीं किया है।अभी हालहि में उनकी एक तस्वीर फेसबुक पर वायरल हुई थी, जिसमें सामल गर्दन तक पानी में उतरकर नदी पार कर रही थीं।
ढेंकनाल जिले के राठीपाला गांव में के प्राथमिक विद्यालय में 53 छात्र हैं, जिन्हें पढ़ाने के लिए बिनोदिनी को सपुआ नदी पार करके जाना पड़ता है।यह स्कूल उनके घर से तीन किलोमीटर दूर नदी के पार स्थित है। बहुत सालों से इस नदी पर पुल बनाने की बात चल रही है लेकिन इसे अब तक नहीं बनाया जा सका। मीडिया से बातचीत के दौरान 50 वर्षीय बिनोदिनी ने बताया कि, नौकरी लगने के बाद से ही वो नदी पार कर के स्कूल जा रही हैं।इसको लेकर मेरे परिवार वाले मुझे मना करते थे, लेकिन मुझे खुद पर भरोसा था। आगे बिनोदिनी ने कहा कि, वह एक जोड़ी कपड़े स्कूल की अलमारी में रखती हैं, ताकि नदी पार करने के बाद गीले कपड़ों को बदल सकें। बिनोदिनी बताती है, पिछले 11 सालों से मुझे केवल 6,000 रुपये मासिक वेतन मिल रहा है, जबकि साल 2016 के बाद से मुझे 27,000 रुपये मिलना चाहिए था, फिर भी मैं अपना काम पूरी मेहनत से कर रही हूं।
वहीं गांव के एक स्थानीय युवा नेता दामोदर प्रधान बताते हैं, हर दिन बिनोदिनी और स्कूल की प्रधानाध्यापिका काननबाला मिश्रा सपुआ से होकर स्कूल पहुंचते हैं। हालांकि, यह नदी गर्मियों में ज्यादातर समय सूखी रहती है लेकिन मॉनसून और बारिश के दौरान इसमें लबालब पानी भरा होता है। दामोदर का कहना है कि, सामल मैडम जो कर रही हैं उसे कोई पुरुष शिक्षक भी नहीं कर सकता। हमारे क्षेत्र के सभी लोग जानते हैं कि एक बार को बच्चे स्कूल आने में आलस कर सकते हैं लेकिन बिनोदिनी मैडम नहीं।
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