फांसी देते समय अगर टूट जाए ‘निर्भया के दोषियों’ के गले पर लगा फंदा, तो फिर जानिए क्या होगा
ये है इसके पीछे की वजह
जब किन्हीं दोषियों को फांसी दी जाती है, तो काफी तैयारियां की जाती है क्योंकि पूरे देश की नजरें वहां होती है। लेकिन इस बीच फांसी ( hanging ) देने के ठीक पहले जेलर दौड़कर अपने ऑफिस तक जाता है और फिर वापस आता है और तब जाकर ही दोषी को फांसी दी जाती है। लेकिन क्या आप इसके पीछे की वजह जानते हैं। दरअसल, फांसी देने से ठीक पहले जेल सुप्रिटेंडेंट एक बार दौड़कर ये देखने अपने ऑफिस जाते हैं कि कहीं फांसी रोकने के लिए कोई ऑर्डर तो नहीं आया है। अगर कोई ऑर्डर नहीं आया होता तो तय समय पर ही दोषियों को फांसी दे दी जाती है।
सब कुछ लिखा होता है
ऐसा ही कुछ निर्भया के दोषियों को फांसी देते हुए भी होगा। कोर्ट द्वारा फांसी देने का ब्लैक वारंट जारी करने के बाद फांसी के दिन की तारीख, समय और किस जगह फांसी दी जाएगी यह सब लिखा होता है। फार्म के अगले कॉलम में स्पष्ट लिखा होता है कि जिन लोगों को फांसी दी जा रही है उन्हें तब तक फांसी के फंदे पर लटकाया जाए जब तक उनकी मौत न हो जाए। सबसे नीचे समय, दिन और ब्लैक वारंट जारी करने वाले जज के हस्ताक्षर होते हैं। वहीं इसके 14 दिन के अंदर निर्भया के चारों दोषियों को फांसी दे दी जाएगी।