पी. चिदंबरम का मामला
इस लिस्ट में सबसे पहला नाम है पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम का। उन पर आरोप हैं कि आईएनएक्स मीडिया को फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड (FIPB) से गैर कानूनी तौर पर मंजूरी दिलवाने से जुड़ा है जिसमें मीडिया ग्रुप ने साल 2007 में करीब 305 करोड़ का विदेशी निवेश हासिल किया था। पी. चिदंबरम उस दौरान यूपीए-2 सरकार में वित्त मंत्री थे। इस केस में 15 मई 2017 में सीबीआई ने FIPB मंजूरी में अनियमिताओं के चलते FIR दर्ज की थी। इसके बाद 2018 में ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज किया। हालांकि, अब 106 दिन बाद जेल की सलाखों से वो जमानत पर बाहर आ चुके हैं।
डी के शिवकुमार
इस लिस्ट में दूसरा नाम है कर्नाटक ( Karnataka ) की कनकपुरा विधानसभा सीट से कांग्रेस के मौजूदा विधायक डी के शिवकुमार का। ईडी के मुताबिक, उन्होंने जांच में पाया कि शिवकुमार के पास करीब 800 करोड़ रुपये मूल्य की बेनामी संपत्ति है। इतना ही नहीं उनके पास 317 खाते हैं और उन्होंने 200 करोड़ रुपये से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग की है। इस मामले में ईडी ने उनसे पूछताछ भी की। फिलहाल शिवकुमार जमानत पर बाहर आ गए हैं।
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अनिल शर्मा
बीजेपी ने हिमाचल प्रदेश के बागी विधायक और पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री सुखराम के बेटे अनिल शर्मा को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। लोकसभा चुनाव के दौरान अनिल शर्मा बागी हो गए थे। अनिल शर्मा ने कांग्रेस के टिकट पर मंडी सीट से चुनाव लड़ने वाले अपने बेटे आश्रय शर्मा का समर्थन किया था। पार्टी विरोधी गतिविधियों में नाम आने की वजह से पार्टी ने अनिल शर्मा को बाहर निकालने का फैसला किया। हिमाचल प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने अनिल शर्मा के निष्कासन की पुष्टि की है। हिमाचल प्रदेश के बिजली मंत्री अनिल शर्मा ने अप्रैल में राज्य सरकार से इस्तीफा दे दिया था। अनिल शर्मा पर उनकी अपनी पार्टी का दवाब पड़ रहा था क्योंकि उनके पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम ने आश्रय शर्मा के साथ बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। इसी के मद्देनजर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। अनिल शर्मा ने उनके बेटे के खिलाफ मंडी से चुनाव लड़ रहे बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार करने से मना कर दिया था और इस मुद्दे पर मंत्री पद छोड़ने की इच्छा जाहिर की थी।
अजित पवार
वहीं चौथा नाम है एनसीपी नेता अजित पवार ( Ajit Pawar ) का। अजित पवार पर आरोप हैं कि कांग्रेस-एनसीपी की सरकार के वक्त जब अजित पवार उप मुख्यमंत्री थे, तब लगभग 70000 करोड़ रुपये के हेराफेरी की। उन पर सिंचाई घोटाले का आरोप है। वहीं इस साल 27 नवंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर किए गए एफिडेविट में एसीबी ने कहा कि VIDC के चेयरमैन अजित पवार को निष्पादन एजेंसियों के भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है क्योंकि उनका कोई कानूनी कर्तव्य नहीं था। वहीं इससे पहले 25 नवंबर को महाराष्ट्र में चले सियासी उठापटक के बीच एसीबी ने सिंचाई घोटाले से जुड़े नौ केस बंद कर दिए थे।