इस बार 17:57 से 19:53 बजे तक का समय शुभ है क्योंकि इस दौरान वृषभ लग्न होने की वजह से इस समयावधि को शुभ माना जा रहा है।
व्यापारियों के लिए दिन में 13:39 से लेकर 15:04 बजे तक का वक्त शुभ है क्योंकि इस समय कुम्भ लग्न होने की वजह से यह व्यवसाय के लिए उत्तम है।
जो तंत्र—मंत्र या किसी तरह की कोई साधना करते हैं उनके लिए रात्रि 12 :30 से लेकर रात्रि 02 :51 बजे तक का वक्त सिंह लग्न होने की वजह से उत्तम है।
पूजा से पहले घर की साफ-सफाई करने के बाद नहा-धोकर माता लक्ष्मी और गणपति भगवान की मूर्ति को स्थापित करें। इसके बाद गणपति को पंचामृत करवाएं, कुमकुम या केसर से तिलक कर पुष्पहार पहनाकर वस्त्र समर्पित करें और जनेऊ पहनाएं।
गणपति भगवान के बाद माता लक्ष्मी को सुंदर वस्त्र से सजाकर आभूषण पहनाएं, इत्र लगाएं और उन्हें भी केसर-कुमकुम का तिलक करें। इतना हो जाने के बाद भगवान के सामने एक बड़ा सा चौमुख दीपक गाय के गोबर के ऊपर रख कर उसे प्रज्जवलित करें। इस गोबर पर सिंदूर और अक्षत लगाकर सोलह दीपक जलाएं। तत्पश्चात गणेश जी की स्तुति कर देवी लक्ष्मी का पूजन करें और कनकधारा स्त्रोत का पाठ ध्यानपूर्वक करें। पूजा के दौरान “ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः” का जाप मन ही मन में करते रहें। पूजा के दौरान भगवान को पान, मिष्ठान, फल का भोग लगाएं। पूजा सम्पूर्ण हो जाने के बाद बड़ों के पैर छूकर उनका आर्शीवाद लें।