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सैंकड़ों सालों पहले जलमग्न था ये गांव, अब रोजाना आते है हजारों पर्यटक

locationनई दिल्लीPublished: Dec 14, 2020 01:47:22 pm

Submitted by:

Shaitan Prajapat

ऐसा कहा जाता है कि यह गांव 120 साल पहले जलमग्न हो गया था। आज यह गांव दिखने में बहुत ही खूबसूरत है। अब यहां पर रोजाना हजारों पर्यटक आते है।
 

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नई दिल्ली। आज भी देश की बड़ी आबादी गांव में रहती है। गांव का माहौल अपने आप में बहुत ही खूबसूरत होता है। सबसे खास बात यह है गांवों में खाने-पीने की सभी प्रकार की चीजें ताजा मिलती है। आज आपको एक अनोखे गांव के बारे में बताने जा रहे है। ऐसा कहा जाता है कि यह गांव 120 साल पहले जलमग्न हो गया था। यहां पर सबकुछ खत्म हो गया था। आज यह गांव दिखने में बहुत ही खूबसूरत है। आपको यह जानकर हैरान होगी कि यहां पर रोजाना हजारों पर्यटक आते है।

1897 में आया था विनाशकारी भूकंप
हरे-भरे प्रकृति की तलहटी में यह सुरम्य गांव बसा हुआ है। इस गांव में 200 से 300 घर बने हुए है। यहां से एक सड़क घाट सड़क मार्ग से सीधे चेरापूंजी को जाती है। ऐसा कहा जाता है कि करीब 120 साल पहले यानी 12 जून, 1897 को एक विनाशकार भूकंप आया था। इस भयानक हादसे में पूरा गांव जलमग्न हो गया था।

 

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अंग्रेजी वर्णमाला का होता उपयोग
एक रिपोर्ट के अनुसार, भूकंप में कई ग्रामीणों की मौत हो गई थी। उनकी याद में 28 जनवरी, 1998 में एक स्थान पर एक स्मारक बनाया गया है। मौजूदा समय में तैराकी गांव का जीर्णोद्धार किया गया है। यहां पर खासी भाषा मेघालय में बोली जाती है। हालांकि इस भाषा की अपनी कोई लिपि नहीं है। ऐसा कहा जाता है कि सालों तक इस क्षेत्र में ब्रिटिश प्रभुत्व के कारण, इस भाषा में लिखने के लिए अंग्रेजी वर्णमाला का उपयोग किया जाता है।

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हर जगह बने है चर्च
अगर आप मेघालय की यात्रा करेंगे तो आपको कोई मंदिर या मस्जिद नहीं दिखेगी। वहां पर सभी जगह चर्च ही नजर आएंगे। यहां पर ईसाई धर्मों को मानने वाले लोग रहते है। यहां पर कई गुफा बनी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर रोजाना बड़ी संख्या में पर्यटक आते है।

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