बताया जाता है कि टायरा जब 19 साल की थी, तब उनके पड़ोस में एक अपार्टमेंट में चोरी करने के लिए किसी की हत्या कर दी गी थी। शक के घेरे में आई 19 साल की टायरा को मुजरिम बनाकर जेल भेज दिया। वो अपनी बेगुनाही पर चीख पुकार करती रही लेकिन जेल की चारदिवारी के अंदर उसकी अवाज भी दब कर रह गई। जब वह11 साल की थी तभी घर से बेघर हो गई थी उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा था। जब वह जेल पहुंची, तो उनकी जिंदगी में मानों अंधेरा सा आ गया। लेकिन इस अधेरे को उन्होने अपने ऊपर हावी नही होने दिया और जेल में ही रहकर पढ़ाई की शुरूआत कर दी।
जेल में रहकर उन्होंने चित्रकारी सीखी और पेंटिंग्स भी सीखी। जेल में रहते हुए वह अधिकृत जीईडी प्रशिक्षक (जनरल एजुकेशन डेवलपमेंट) बनीं और पैरालीगल मामलों का प्रशिक्षण पूरा किया। इस दौरान उन्होंने स्टीम इंजीनियर का लाइसेंस भी लिया।
जेल से बाहर आने के बाद टायरा ने पैरालीगल एक्सपर्ट जॉइन किया। और कई महाविद्यालयों में जाकर अमेरिका में बड़े पैमानों पर फैली अव्यवस्थाओं और न्यायालय द्वारा गलत तरीके से सुनाए गए फैसलों को चुनौती देने के काम करने लगी।