scriptसंस्कृति और परंपरा को बचाए रखने के लिए नंदीशाला की महिलाएं बना रहीं गोबर से बने ‘बड़कुल्ले’ | To preserve culture and traditions, women of Nandisala making small du | Patrika News

संस्कृति और परंपरा को बचाए रखने के लिए नंदीशाला की महिलाएं बना रहीं गोबर से बने ‘बड़कुल्ले’

locationनई दिल्लीPublished: Mar 27, 2021 08:35:23 pm

Submitted by:

Pratibha Tripathi

हमारे देश में हर धार्मिक कार्यों में गाय के गोबर का विशेष महत्व है लेकिन आज के समय में लोग इन चीजों से दूर होकर पूजा सामग्री की चीजो के महत्व को भी कम करते जा रहे हैं।

Women making cow dung barkulla

Women making cow dung barkulla

नई दिल्ली। आधुनिकता के इस दौर में लोग भारतीय संस्कृति से काफी दूर होते जा रहे हैं। अब हर काम को वो छोटे रूप में करना ज्यादा पसंद करने लगे है। जिसका उदा. पूजा के दौरान भी देखने को मिलता है। हमारे देश में हर धार्मिक कार्यो में गाय के गोबर से लेकर उसके गौमूत्र का भी विशेष महत्व रहा है। लेकिन आज के समय में लोग इससे भी दूर होते जा रहे है। और इन्ही पंरपरा को बचाए रखने के लिए कुछ महिलाएं ऐसा सराहनीय काम कर रही है। जो हमारे लिए एक बड़ा प्रेरणा बनी है। होली का त्यौहार अब नजदीक आ रहा है। और इस त्यौहार में लोग गाय के गोबर से बने बड़कुल्लों की पूजा कर होलिका दहन के समय इसका उपयोग करते हैं।

लेकिन अब इसका उपयोग काफी कम किया जाने लगा है। लेकिन हमारी संस्कृति और परंपराए को बचाए रखने के लिए झुंझुनूं की नंदीशाला से जुड़ी महिलाओं ने एक अनोखी मुहिम शुरू की है। सदियों से चली आ रही परंपरा को बचाए रखने के लिए वो लोग गाय के गोबर से बने उपले बना रही है जिसकी लोग इन तैयार माला को ले जाकर पुरानी रस्मों के पूरा कर सकें।

नंदीशाला में निस्वार्थ और निशुल्क रूप से सेवा में लगी ये महिलाए गौवंश की सेवा की भावना का जाग्रत करने के साथ साथ बड़कुल्ले की माला तैयार कर रही हैं। इसके अलावा वे लोग होलिका दहन के समय उपयोग की जाने वाली गोबर से जुड़ी सामग्री को तैयार करके उन्हें कार्टन में पैककर बाहर भेजा जा रही हैं।

शहर की महिलाएं भी हो रहीं प्रेरित

इन महिलाओं के सराहनीय काम को देख अब दूसरी जगह की महिलाएं भी प्रोत्साहित हो रही है. वे भी खाली समय में यहां आकर बड़कुल्ले के अलावा अन्य निर्माण कार्यों में सहयोग दे रही हैं।

आज की पीढ़ी भूल रही सनातन परंपरा

इन महिलाओं का आगे बढ़ाने में इनका साथ दे रही डॉ. भावना शर्मा ने बताया कि आज का युग महिलाओं का है। ऐसे में हम सब अपनी सनातन परंपरा को भूलते जा रहे है। क्योंकि हमारे एजुकेशन सिस्टम में भी सनातन ज्ञान नहीं है। इसलिए नई पीढ़ी को इससे जोड़ने के लिए यह काम शुरू किया गया है। अब यह महिलाएं एक पूजा की सामग्री के सैट का 101 रुपये शगुन के रूप में लिया है और आने वाले पैसों को भी वो गौसेवा के लिए लगा रही है।

बता दें कि इससे पहले भी नंदीशाला की इन महिलाओं ने गौकाष्ठ तैयार करना शुरू किया था हवन आदि में लकड़ी की जगह गाय के गोबर से बनी चीजों को बढावा देकर पुरानी संस्कृति को जीवित करने के प्रयास में ये महिलाएं लगी हुई हैं।

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