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धरती से 240 किलोमीटर नीचे दबी है ये चीज, वैज्ञानिक बोले- कभी नहीं सोचा था एेसा

Published: Jul 19, 2018 03:48:56 pm

Submitted by:

Vinay Saxena

वॉशिंगटन में वैज्ञानिकों ने धरती के नीचे हीरे के बड़े भंडार को खोज निकाला है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस धरती के गर्भ में अरबों टन हीरा छिपा हुआ है।

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नई दिल्ली: धरती के अंदर करोड़ों रहस्य छिपे हुए हैं। इन रहस्यों को आजतक कोई समझ नहीं पाया। हाल ही में वॉशिंगटन में वैज्ञानिकों ने धरती के नीचे हीरे के बड़े भंडार को खोज निकाला है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस धरती के गर्भ में अरबों टन हीरा छिपा हुआ है। दावा है कि ये हीरा धरती की सतह के 145 से 240 किलोमीटर नीचे है।
नहीं निकाला जा सकता बाहर


ब्रिटिश मीडिया के मुताबिक, वैज्ञानिकों का यह पूरा शोध Geochemistry, Geophysics, Geosystems नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। मैसाच्युसट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, धरती के नीचे 10 खरब से हजार गुना ज्यादा हीरा दबा हुआ है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह हीरा धरती की सतह से करीब 90 से 150 मील (145 से 240 किलोमीटर) अंदर है। अभी तक कोई इंसान इतनी गहराई तक नहीं पहुंच पाया है न तो इतनी गहरी खुदाई ही की जा सकी है।
वैज्ञानिक बोले- कभी नहीं सोचा था एेसा

MIT के डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ, ऐटमसफरिक ऐंड प्लैनेटरी साइंसेज में रिसर्च सांइटिस्ट उलरिक फॉल का कहना है कि वह इस हीरे को बाहर नहीं ला सकते, लेकिन फिर भी यह इतना ज्यादा है, जिसके बारे में हमने पहले कभी सोचा भी नहीं है।
भूकंप आैर सुनामी के बारे में रिसर्च के दौरान हुआ खुलासा

दरअसल, वैज्ञानिकों को इस हीरे के बारे में भूकंप और सुनामी के बारे में रिसर्च के दौरान पता चला। रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों को कुछ खास किस्म की ध्वनि तरंगें सुनाई दींं। इसके बारे में उन्होंने गहराई से छानबीन की तो पता चला किे ये ध्वनि तरंगे सामान्य नहीं हैं। वैज्ञानिकों को अब लगता है कि पहले के अनुमानों के मुताबिक, पृथ्वी के प्राचीन भूमिगत चट्टानों में 1000 गुना ज्यादा हीरे हैं। हालांकि, अभी भी बेहद कम संभावनाएं हैं कि यह हीरे कभी जूलरी की दुकानों तक पहुंच पाएंगे।
एेसे बनते हैं हीरे

जानकारी के मुताबिक, हीरे कार्बन से बनते हैं। धरती की गहराई में तेज दबाव और अत्याधिक तापमान में हीरे बनते हैं। यह सतह के पास तभी आते हैं जब ज्वालामुखी फटे, जो दुर्लभ होता है। इस तरह के ज्वालामुखी विस्फोट लाखों-करोड़ों सालों में एक बार होते हैं।
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