बधिर लोगों के लिए मददगार साबित होगा इसे तैयार करने वाली 45 साल की क्लेयर क्रॉस (Claire cross) का कहना है कि ”यह मास्क चेहरे पर अच्छी तरह फिट हो जाता है और उन लोगों को लिए मददगार साबित होगा जो बोल नहीं सकते। लॉकडाउन (Lockdown) के बाद अब लोगों को मास्क (Mask) लगाना अनिवार्य कर दिया गया है, खासकर बाहर सफर करते और भीड़ में जाते समय।”
इंग्लैंड में 90 लाख लोग नहीं सुन पाते नेशनल डीफ चिल्ड्रेंस सोसायटी (National Def Children Society) का कहना है कि बधिर लोग चीजों को समझने के लिए होठों को पढ़ते हैं लेकिन मास्क के कारण वे बातों को नहीं समझ पा रहे कोरोना महामारी के दौरान मूक-बधिर (Deaf) लोगों को खासतौर पर अलर्ट होने की जरूरत है, खासकर तब तक जब ऐसे ट्रांसपेरेंट मास्क (Transparent mask) दुनियाभर में उपलब्ध नहीं हो जाते। एक रिपोर्ट के मुताबिक इंग्लैंड में 90 लाख लोग ऐसे हैं जो सुन नहीं सकते। ये चेहरे और होठों के एक्सप्रेशन से साइन लैंग्वेज को समझते हैं।
एेसे की मास्क बनाने की शुरुआत एक अंग्रेजी वेबसाइट में छपी खबर के मुताबिक क्रॉस एक पब वर्कर हैं। वह लम्बे समय से रुमेटॉयड अर्थराइटिस से जूझ रही हैं और ऐसे ट्रांसपेरेंट मास्क बनाकर बांट रही हैं। वह कहती हैं कि मेरे कुछ दोस्त ऐसे हैं जो सुन नहीं सकते। वे लिप रीडिंग पर निर्भर हैं, मास्क की शुरुआत इन्हीं दोस्तों के लिए की थी। मैंने इसे सोशल मीडिया पर शेयर किया तो मुझसे ऐसे लोगों ने अनुरोध किया कि उन्हें भी ट्रांसपेरेंट मास्क की जरूरत है। इसके अलावा बधिर लोगों का इलाज करने वाले डॉक्टर्स और नर्स की तरफ से भी डिमांड आई।
क्रॉस कहती हैं कि लॉकडाउन (Lockdown) हटने के बाद लोगों को कुछ राहत मिली है लेकिन बाधिर लोगों के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं। वो दूसरे लोगों की तरह क्यों सामान्य जीवन क्यों नहीं जी सकते, उन्हें भी उतनी राहत महसूस होनी चाहिए, इसलिए ऐसे मास्क तैयार किए।