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जज को भरे कोर्ट में दी थी गाली मुंह पर मारी थी किताब, 13 साल बाद ऐसे ले लिया बदला

locationनई दिल्लीPublished: Sep 07, 2018 11:35:14 am

Submitted by:

Priya Singh

साल 2005 में एक जज ने वकील रामचंद्र कागने उम्र 55 साल के खिलाफ हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच में अवमानना याचिका दायर की थी।

unique case of contempt of court in aurangabad

जज को भरे कोर्ट में दी थी गाली मुंह पर मारी थी किताब, 13 साल बाद ऐसे ले लिया बदला

नई दिल्ली। अगर आप बॉलीवुड फिल्में देखकर यह सोचते हैं कि, असल ज़िंदगी में भी इसी तरह के कोर्ट रूम ड्रामे होते होंगे तो आपको बता दें कि, ऐसा हमेशा नहीं होता। कोर्ट रूम की कुछ मर्यादाएं होती हैं जिसका पालन हर किसी को करना ज़रूरी होता है ऐसे में अगर कोई चल रहे बीच केस में जज को ही कुछ बोल दे तो क्या हो? ऐसा ही कुछ हुआ बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच में, यहां कोर्ट की अवमानना के 13 साल पुराने मामले में एक वकील को एक हफ्ते जेल की सज़ा सुनाई है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, साल 2005 में एक जज ने वकील रामचंद्र कागने उम्र 55 साल के खिलाफ हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच में अवमानना याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि दुष्कर्म के मामले की सुनवाई के दौरान परभणी जिला कोर्ट मेंवकील कागने ने जज अशोक विलोलकर को अपशब्द कहे थे। इतना ही नहीं जज की तरफ हाथ में पकड़ी एक नोट बुक भी फेंक दी थी, जो के सरकारी वकील को जा लगी।

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जानकारी के लिए बता दें कि, हुई यह घटना कोर्ट की अवमानना के दायरे में आती है। वकील द्वारा 13 साल पहले की गई इस अवमानना पर जस्टिस टीवी नलावडे और विभा कांकणवाड़ी की बेंच ने वकील कंगने पर एक हफ्ते जेल के साथ 2000 रुपए का जुरमाना भी लगाया।

क्या होती है न्यायालय की अवमानना…

किसी न्यायालय या न्यायधीश द्वारा दिए गए निर्णय की अवहेलना करना या निरादर करना न्यायालय की अवमानना (Contempt of court) कहलाता है। यह एक अपराध है। यह दो तरह से उल्लेखित किया गया है। बता दें कि, किसी न्यायधीश का निरादर करना, न्यायालय में उपद्रव (अशांति) फैलाना (विशेष रूप से, न्यायधीध के चेतावनी देने के बावजूद, किसी न्यायालय के आदेश का जानबूझकर पालन न करना न्यायालय की अवमानना माना जाता है जिसके लिए कोर्ट उचित कार्यवाई भी करता है।

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