खाने के नहीं होते थे पैसे अपनी इस सफतला के पीछे की सच्चाई बताते हुए विजय शेखर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जीवन में एक दौर ऐसा भी आया था, जब उनके पास खाने के पैसे तक नहीं थे। पेटभर खाने के लिए वह बहाने बनाकर दोस्तों के पास पहुंच जाते थे। इन सब दिक्कतों के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और दिन-रात मेहनत कर 1 लाख करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर दी।
जानिए कितनी है दौलत वह फोर्ब्स की लिस्ट में शामिल होने वाले सबसे कम उम्र के अरबपति हैं, जिनकी नेट वर्थ 8840 करोड़ रुपए (1.36 अरब डॉलर) रुपए है। उनकी पेटीएम पेमेंट्स बैंक में 51 फीसदी हिस्सेदारी है। पेटीएम में रतन टाटा सहित ग्लोबल निवेशकों ने करोड़ो का निवेश किया हैं। कंपनी ने हाल ही में 45,500 करोड़ रुपए के वैल्युएशन पर जापानी कंपनी सॉफ्टबैंक से करीब 9,100 करोड़ रुपए (1.4 अरब डॉलर) का फंड जुटाया है। नोटबंदी के बाद फायदे में आई पेमेंट्स कंपनी ने 23 मई 2017 से डिजिटल पेटीएम का पेमेंट्स बैंक शुरू कर दिया है। ये बैंक अपने ग्राहकों को डिपॉजिट पर 4 फीसदी ब्याज के साथ कैशबैक दे रहा है। दिल्ली से सटे यूपी के नोएडा में पेटीएम कंपनी का मुख्यालय है। इसके अलावा अफ्रीका, यूरोप, मध्यपूर्व और दक्षिण-पूर्वी एशिया में भी कंपनी के आफिस हैं।
अलीगढ़ के गरीब परिवार में हुआ जन्म विजय शेखर शर्मा की सफलता की कहानी बेहद दिलचस्प है। उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर अलीगढ़ की एक लोअर मिडिल क्लास फैमिली से निकलकर उन्होंने 18 हजार करोड़ रुपए का व्यक्तिगत एसेट क्रिएट किया है। उनकी शिक्षा सरकारी हिंदी माध्यम के स्कूलों में हुई।
नहीं जानते थे अंग्रेजी बोलना दिल्ली के इंजीनियरिंग कॉलेज में अंग्रेजी नहीं बोल पाने की वजह से उन्हें कई बार बड़ी परेशानी हुई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। डिक्शनरी से हिंदी को अंग्रेजी में ट्रांसलेट करके पढ़ते चले गए। आखिरकार इंग्लिश किताबों और दोस्तों की मदद से विजय ने समय रहते फर्राटा अंग्रेजी बोलना भी सीख लिया।
15 साल की उम्र में बनाई वेबसाइट महज 15 साल की उम्र में कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही indiasite.net नामक वेबसाइट बना ली थी। किस्मत ने भी उनका साथ दिया और वेबसाइट बनने के महज दो साल बाद ही उन्हें इसके लिए एक मिलियन यानी दस लाख डॉलर की रकम मिल गई।