पहले यह माना जाता रहा है कि हाथी (Elephants) हमेशा तराई इलाकों के निचले क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं और वे पहाड़ों पर नहीं चढ़ सकते थे। लेकिन एक सर्वे में पता चला कि हाथी मध्य हिमालय इलाके मैं भी मौजूद थे। इसका मतलब वे पहाड़ियों पर भी आराम से चढ़ सकते हैं।
उत्तराखंड़ के मध्य हिमालय ( elephants in middle Himalayas )में पहले कभी हाथियों को नहीं देखा गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि यह इशारा करता है कि हाथियों ने खाने और पानी की तलाश में तराई इलाकों से उच्च इलाकों की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है।
जमीन के नीचे बसे शहर का बिना खुदाई किए बनाया MAP, जानें कैसे हुआ ये संभव? वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि हाथियों के प्राकृतिक आवास को जलवायु परिवर्तन और इंसानी हस्तक्षेप की वजह से बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है।
इस लिए हमने इनकी जनगणना के लिए एक सर्वे किया। पहले भी विभाग ने सर्वे किए हैं लेकिन अक्सर मैदानी इलाकों और तराई इलाकों जैसे हल्द्वानी रामनगर देहरादून के कुछ हिस्से लैंसडाउन और कॉर्बेट एंड राजाजी टाइगर रिजर्व में ही हाथियों की संख्या को गिनने का काम करते थे।
लेकिन इस सर्वे में वन विभाग ने पहली बार पहाड़ी इलाके जैसे अल्मोड़ा, नैनीताल, मसूरी, नरेंद्र नगर, चंपावत और कलासी को भी इस सर्वे में शामिल किया गया था।
बच्चों से मिलने ससुराल पहुंचे शख्स को सास-ससुर ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा! वायरल हुआ Video उन्होंने पाया कि शुरुआती नतीजों के आधार पर इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि पहाड़ी जंगली संभागों जैसे अल्मोड़ा मसूरी और नैनीताल में भी हाथियों की मौजूदगी देखी गई है।