100 सालों में कभी किसी को नहीं पहुंचा कोई नुकसान
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, यह घटना छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के मोहतरा गांव की है। यहां पर इस मगरमच्छ को ग्रामीण अपने परिवार का ही हिस्सा मानते थे। यही कारण था कि ‘गंगाराम’ नाम का यह मगरमच्छ जब कई बार गांव में स्थित तालाब से निकलकर जब दूसरे गांव में चला जाता था, तो ग्रामीण उसे फिर उसी तालाब में ले आते थे। खास बात यह है यह मगरमच्छ करीब पिछले 100 सालों से इस तालाब में रह रहा था और इतने सालों में उसने कभी किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।
शवयात्रा में शामिल हुए 500 लोग, अब बनेगा मंदिर
एक सुबह जब एक ग्रामीण ने मगरमच्छ को अचेत अवस्था में देखा तो उसने पूरे गांव में इसकी सूचना दी। मौके पर वन विभाग के अधिकारियों को भी बुलाया गया। इसके बाद लगभग 500 ग्रामीणों की मौजदूगी में मगरमच्छ की शव यात्रा निकाली गई और पूरे सम्मान के साथ उसे तालाब के किनारे दफना दिया गया। वहीं गांव के सरपंच का कहना है कि, जल्द ही ‘गंगाराम’ का स्मारक और एक मंदिर बनाया जाएगा, जहां ग्रामीण मगरमच्छ की पूजा कर सकेंगे।