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दुनिया का इकलौता ज्वालामुखी जो उगलता है नीले रंग का लावा, जानें इसके पीछे की वजह

locationनई दिल्लीPublished: Jul 10, 2020 10:08:51 pm

Submitted by:

Vivhav Shukla

इंडोनेशिया (Indonesia) में फट रहे ज्वालामुखी (Volcano in Indonesia ) से एक हैरतअंगेज नजारा देखने को मिला। इस ज्वालामुखी निकला लावा रात को नीले रंग का दिखाई दिया है। आमतौर पर कोई ज्वालामुखी (Volcano) फटता है तो उसमें से लावा (Lava) निकलता है उसका रंग आग की तरह सुनहरा और पीला होता है लेकिन नीले रंग के लावे को देखने के बाद बहुत से लोग हैरान हो रहे हैं।

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Volcano in Indonesia Erupts with Electric-Blue Lava at Night

नई दिल्ली। इन दिनों दुनियाभर में कोरोना (Coronavirus) का खौफ फैला हुआ है। रोजाना हजारों लोगों की जान रही है लेकिन इसके बीच कई रहस्यमयी मामले भी सामने आ रहे हैं। हाल ही में इंडोनेशिया (Indonesia) में फट रहे ज्वालामुखी (Volcano in Indonesia ) से एक हैरतअंगेज नजारा देखने को मिला। इस ज्वालामुखी निकला लावा रात को नीले रंग का दिखाई दिया है। आमतौर पर कोई ज्वालामुखी (Volcano) फटता है तो उसमें से लावा (Lava) निकलता है उसका रंग आग की तरह सुनहरा और पीला होता है लेकिन नीले रंग के लावे को देखने के बाद बहुत से लोग हैरान हो रहे हैं।

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इंडोनेशिया के बनयुवांगी में स्थित कावा ईजन ज्वालामुखी (Kawah Ijen volcano in Indonesia)अपने आप में दुनिया का सबसे अनोखा वोल्केनो (volcano )है। इन दिनों ये ज्वालामुखी इलेक्ट्रिक ब्लू रंग की लावा उगल रहा है। हालांकि ये देखने में बेहद खूबसूरत लग रहा है। इस ज्वालामुखी (volcano )को कई सालों से डॉक्यूमेंट करने वाले पेरिस के फोटोग्राफर ओलिवर ग्रुनेवाल्ड (photographer, Olivier Grunewald) ने इसकी तस्वीरे सोशल मीडिया पर पोस्ट की है।

ओलिवर (Olivier Grunewald) के मुताबिक नीले रंग के लावे से कोई खतरा नहीं है। उनके मुताबिक ये असल में लावा है ही नहीं। उनका कहना है कि जब ज्वालमुखी की दरारों से सल्फ्यूरिक एसिड (Sulfuric acid )बाहर आती है और ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर ज्लावा का रंग नीला हो जाता है।

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इसके साथ ही जब तरल सल्फर लगातार जलता है और वह पर्वत की ढलान से नीचे आता है तब वह यह भ्रम पैदा करता है कि लावा बह रहा है ओलिवर का कहना है कि यह नीला रंग रात में बेहद खूबसूरत नजर आता है।

बता दें Kawah Ijen volcano के पास दुनिया का सबसे बड़ा अम्लीय (Acidic) क्रेटर तालाब भी है। इसमें हाइड्रोक्लोरिक एसिड (Hydrochloric acid) की मात्रा बहुत ज्यादा है और प्रायः ज्वालामुखी से निकलने वाली गैसें इस तालाब के पानी से प्रतिक्रिया करती हैं जिससे यहां के पानी का पीएच (pH) 0.5 तक पहुंच जाता है। ठंडा होने पर गैसें निकलती हैं और तालाब में सल्फर के निक्षेप छोड़ जाती हैं।

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ऐसे में Volcano में निकले वाली लावा का रंग बदलता रहता है। लावे का रंग उसके तापनाम पर भी निर्भर करता है। जैसे कि जब लावा ज्वालामुखी के मुंह से निकलता है तो उसका तापमान हजार डिग्री सेल्सियस होता है। इस दौरान उसका रंग नहीं बदलता लेकिन बहते हुए लावे का तापनमाम कम होने के बाद रंग बदल जाता है।

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