बेहद चालाक वायरस अरबों वर्षों के अपने अस्तित्व में वायरसों ने बिना सक्रिय या जीवित रहे भी सुरक्षित बचे रहना सीख लिया है। ये एक ऐसी भयावह रणनीति है, जिसने वायरस को आधुनिक मानव सभ्यता के लिए भी प्रबल ख़तरा बना दिया है। दुनिया की सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों के चक्के को जाम कर देने वाले नए घातक कोरोनावायरस के लिए ये बात ख़ासतौर से सही है।
क्या है कोरोनावायरस कोरोनावायरस को संरचनात्मक रूप से देखें, तो यह एक जेनेटिक तत्वों के पैकेट है, जिसे इन्सान के बाल के हजारवें हिस्से से भी ज्यादा पतले प्रोटीन के स्पाइकी खोल ने ढका हुआ है।देखने में कोरोनावायरस में जीवन के कोई लक्षण नजर नहीं आते, लेकिन इस तरह होने पर भी ये लंबे समय तक मानव सभ्यता के लिए जानलेवा ख़तरा बना रह सकता है।
जीवन के लक्षण नहीं, तो कैसे बनता है ख़तरा यदि कोरोनावायरस किसी सतह पर या हवा में कहीं निष्क्रिय-सा पाया जाता है, तो इसे बिना जीवन का वायरस भी समझा जा सकता है। लेकिन जैसे ही ये वायरस मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है, वह इन्सानी कोशिकाओं को अपने कब्जे में ले लेता है। फिर कोरोनावायरस इन्हीं कोशिकाओं का इस्तेमाल करके करोड़ों और कोरोनावायरसों को जन्म दे देता है। ये इतना चालाक वायरस है कि हम मनुष्यों को पता भी नहीं चलता कि कब हमारे शरीर में कोरोनावायरस ने घर बना लिया है।
कोरोनावायरस से संक्रमित व्यक्ति में जब तक कोरोना के लक्षण नजर आते हैं, उससे पहले ही अगले शिकार की तलाश में यह वायरस लाखों-करोड़ों की संख्या में आस-पास के वातावरण में फैल चुका होता है। सबसे ज्यादा जो बात इसे इतना ख़तरनाक बनाती है, वो यह कि अभी तक कोरोनावायरस का कोई इलाज नहीं है।इस महामारी से बचने का सबसे कारगर तरीक़ा फ़िलहाल यही है कि संक्रमित व्यक्ति से दूर रहा जाए।