वैज्ञानिकों के मुताबिक हर सेकेंड धरती पर 50-100 बार बिजली गिरती है। सूर्य की सतह की तुलना में बिजली अधिक गर्म होती है। बिजली जिस रास्ते से होकर जमीन पर आती है वहां की हवा 15 हजार डिग्री फाॅरेनहाइट तक गर्म हो जाती है। यह गर्मी सूरज की सतह की गर्मी (10 हजार फाॅरेनहाइट) से अधिक है।
बादलों की गड़गड़ाहट (thunderstorm) या फिर तेज चमक के साथ यह जानलेवा बिजली कहीं भी गिर सकती है। परेशानी की बात ये हैं कि इसके बारे में न तो पूर्वानुमान लगाया जा सकता है और न ही यह बताया जा सकता है कि यह बिजली कब गिरेगी।
क्यों गिरती है आकाशीय बिजली (thunderstorm) ? दरअसल, आसमान में विपरीत एनर्जी के बादल हवा से उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं। ये विपरीत दिशा में जाते हुए आपस में टकराते हैं। इससे होने वाले घर्षण से बिजली पैदा होती है और वह धरती पर गिरती है। धरती पर पहुंचने के बाद बिजली को कंडक्टर की जरूरत पड़ती है। लोहे के खंभों के अगल- बगल से जब आकाशीय बिजली गुजरती है तो वह कंडक्टर का काम करता है। उस समय कोई व्यक्ति यदि उसके संपर्क में आता है तो उसकी जान तक जा सकती है।
जानकार बताते हैं कि आसमानी बिजली (thunderstorm) का असर ह्यूमन बॉडी पर कई गुना होता है। डीप बर्न होने से टिशूज डैमेज हो जाते हैं। उनको आसानी से ठीक नहीं किया जा सकता है। बिजली का असर नर्वस सिस्टम पर पड़ता है। हार्ट अटैक होने से मौत हो जाती है। इसके असर से शारीरिक अपंगता का खतरा होता है।
कैसे बचे आकाशीय बिजली से?