scriptदिल्ली: इस महिला की बीमारी से विदेश के डॉक्टरों ने भी मान ली थी हार, भारत ने कर दिखाया कारनामा | When foreign doctors failed in jawbone mouth surgery of a woman, India | Patrika News

दिल्ली: इस महिला की बीमारी से विदेश के डॉक्टरों ने भी मान ली थी हार, भारत ने कर दिखाया कारनामा

Published: Mar 30, 2021 05:35:47 pm

Submitted by:

Pratibha Tripathi

पंजाब नेशनल बैंक में सीनियर मैनेजर के पद पर काम कर रही महिला की बीमारी को देख यूनाइटेड किंगडम से लेकर दुबई के बड़े अस्पतालों के डॉक्टरों ने भी ऑपरेशन करने से कर दिया था मना , भारत में हुआ सफल ऑपरेशन

jaw bone mouth opration

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नई दिल्ली। हमारे देश में कुछ लोग ऐसें भी हैं जो कैंसर से लेकर ऐसी कई खतरनाक बीमारीयां से जूझ रहे हैं जिससे निजात पाने के लिए वे लोग विदेशों पर इलाज कराना ज्यादा बेहतर समझते है जिसका जीता जागता उदा आप बॉलीवुड की बड़ी हस्तियों में देख ही सकते हैं। अब तो समान्य लोग भी इन खतरनाक बीमारियों का सही इलाज विदेश में ही ढूढंते लग गए है। लेकिन कभी कभी कुछ बीमारियां ऐसी भी होती हैं, जिनका इलाज विदेशों में भी असंभव हो जाता है। और वहां के डॉक्टर भी अपने हाथ खड़े कर जाते हैं। ऐसा ही एक केस भारत में देखने को मिला जब पंजाब नेशनल बैंक में सीनियर मैनेजर के पद पर काम कर रही महिला की बीमारी को देख यूनाइटेड किंगडम से लेकर दुबई के बड़े अस्पतालों के डॉक्टरों ने भी इनका ऑपरेशन करने से मना कर दिया।

दरअसल 30 साल की यह महिला जन्मजात विकार से पीड़ित थी इसने इन 30 सालों में कभी भी अपना मुंह नही खोला। देश विदेश से लेकर कई बड़े हॉस्पिटल में अपना इलाज कराया लेकिन हर जगह से उम्मीदों पर पानी फिर गया। इसके बाद करीब डेढ़ महीने पहले आस्था मोंगिया नाम की इस महिला को सर गंगा राम अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में लाया गया जहां यह हॉस्पिटल उसके लिए वरदान साबित हुआ।

महिला के मुहं का ऑपरेशन करना असान बात नही थी क्योंकि उसके जबड़े की हड्डी मुंह के दोनों तरफ से खोपड़ी की हड्डी से जुड़ी हुई थी इस वजह से वो ना तो अपना मुंह खोल पाती थी। नाही अंगुली से अपनी जीभ को छू पाती थी। सिर्फ इन 30 सालों में वो मात्र तरल पदार्थ पर जिन्दा थी। मुंह के साथ साथ वो एक आंख से देख भी नहीं सकती थी। सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि उनका पूरा चेहरा ट्यूमर की खून भरी नसों से भरा हुआ था। इसकी वजह से कोई भी अस्पताल सर्जरी करने को तैयार नहीं था।

डॉक्टर राजीव आहूजा, सीनियर प्लास्टिक सर्जन, डिपार्टमेंट ऑफ़ प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जरी, सर गंगा राम अस्पताल के अनुसार, “जब न लोगों ने इस मरीज़ को देखा तो परिवार को पहले ही बता दिया था कि सर्जरी बहुत खतरनाक है इससे मरीज की ऑपरेशन टेबल पर मौत भी हो सकती है। परिवार की हामी भरने के बाद वहां के डॉक्टरों ने हमने प्लास्टिक सर्जरी, वैस्कुलर सर्जरी एवं रेडियोलॉजी विभाग की टीम बुलाई और बहुत विचार विमर्श करने के बाद इस जटिल सर्जरी को अंजाम देने का फैसला किया।

20 मार्च 2021 को मरीज़ को ऑपेरशन थिएटर ले जाया गया। सबसे पहले ट्यूमर की नसों को बचाते हुए डॉक्टर धीरे धीरे मुंह के दाहिने हिस्से में पहुंचे जहां जबड़ा खोपड़ी से जुड़ा हुआ था। उसको काटकर अलग कर दिया गया। इसके बाद बायें हिस्से में भी जुड़े हुए जबड़े को अलग किया। सभी को एक ही डर था कि यदि ट्यूमर की नस कट जाती तो मरीज़ की ऑपरेशन थिएटर में ही मौत हो सकती थी।आखिरकार साढ़े तीन घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने सफलता पा ली।

ऑपरेशन करने के बाद मरीज़ का मुंह ढाई सेंटीमीटर खुल चुका था। और 25 मार्च 2021 को जिस समय आस्था की अस्पताल से छुट्टी की गयी तो उसका मुंह 3 सेंटीमीटर खुल चुका था। एक सामान्य व्यक्ति का मुंह 4 से 6 सेंटीमीटर खुलता है। डॉक्टर राजीव आहूजा ने बताया कि अभी मुंह की फिजियोथेरेपी एवं व्यायाम से उसका मुंह और ज्यादा खुलेगा।

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