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किसके आदेश से रद्द हुई ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती’ की छुट्टी? नहीं है किसी के पास जवाब

locationनई दिल्लीPublished: Jan 22, 2020 03:31:51 pm

Submitted by:

Prakash Chand Joshi

नेताजी का झारखंड से है गहरा रिश्ता
यहां के लोग जयंती पर तरह-तरह के आयोजन करते हैं

Whose order canceled Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti holiday in Jharkhand

Whose order canceled Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti holiday in Jharkhand

नई दिल्ली:नेताजी सुभाष चंद्र बोस( Netaji Subhash Chandra Bose ) एक ऐसा नाम जिसने देश को आजादी दिलाने के लिए कई कुर्बानियां दी। नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 के दिन ओडिशा के कटक में हुआ था। नेताजी की जयंती के मौके पर सरकारी छुट्टी मिलती रही है। लेकिन झारखंड में साल 2015 से इसे बंद कर दिया गया। लेकिन किसी को ये नहीं पता चला कि ये किस के आदेश पर हुआ। वहीं बंग परिषद के आवेदन पर इस बात का अब पता लगाया जा रहा है कि आखिर किसके आदेश पर नेताजी की जयंती की छुट्टी रद्द हुई।

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नहीं है कोई ठोस कारण

सरकार के माध्यम से आवेदन कर्मिक विभाग पहुंचा है। लेकिन एक बात तो साफ है कि जब छुट्टी रद्द हुई होगी तो सरकार के तमाम वरिष्ठ लोगों की अनुमति तो ली ही गई होगी। लेकिन फिलहाल कोई इस पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। इसके पीछे जो कारण नजर आता है वो ये कि सत्ता बदल चुकी है और फाइलों में छुट्टी रद्द करने का कोई ठोस कारण दर्ज नहीं है। इससे पहले जब से साल 2000 में झारखंड ( Jharkhand ) अलग राज्य बना, तब से नेताजी की जयंती पर साल 2014 तक छुट्टी मिलती रही है। लेकिन साल 2015 से इसे बंद कर दिया गया।

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झारखंड से नेताजी का गहरा रिश्ता

हर किसी का किसी न किसी जगह से एक गहरा रिश्ता जरूर रहता है। जैसा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का झारखंड से रहा। आखिरी बार नेताजी गोमो रेलवे स्टेशन से ही ट्रेन पकड़कर रवाना हुए थे। नेताजी यहां कांग्रेस के रामगढ़ अधिवेशन में पहुंचे थे। साथ ही गांधी के समानांतर सहजानंद सरस्वती के साथ मिलकर अलग सभा की थी। रांची में लालपुर स्थित डॉ. सिद्धार्थ मुखर्जी के पिता क्रांतिकारी यदुगोपाल मुखर्जी से भी वे मशविरा लिया करते थे। झारखंड में रहने वाले बंगाली समाज के लोग और बंगभाषी समुदाय नेताजी को इन्हीं कारणों से लगातार याद रखे हैं और उनकी जयंती पर तरह-तरह के आयोजन होते हैं। वहीं छुट्टियां रद्द होने से समुदाय आहत है। सरकार को इस मामले में पत्र लिखा गया है और छुट्टी फिर से देने की बात कही गई है।

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