क्या विमान हादसे में हुई थी ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस’ की मृत्यु? 74 साल बाद आज भी तलाश
नहीं है कोई ठोस कारण
सरकार के माध्यम से आवेदन कर्मिक विभाग पहुंचा है। लेकिन एक बात तो साफ है कि जब छुट्टी रद्द हुई होगी तो सरकार के तमाम वरिष्ठ लोगों की अनुमति तो ली ही गई होगी। लेकिन फिलहाल कोई इस पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। इसके पीछे जो कारण नजर आता है वो ये कि सत्ता बदल चुकी है और फाइलों में छुट्टी रद्द करने का कोई ठोस कारण दर्ज नहीं है। इससे पहले जब से साल 2000 में झारखंड ( Jharkhand ) अलग राज्य बना, तब से नेताजी की जयंती पर साल 2014 तक छुट्टी मिलती रही है। लेकिन साल 2015 से इसे बंद कर दिया गया।
झारखंड से नेताजी का गहरा रिश्ता
हर किसी का किसी न किसी जगह से एक गहरा रिश्ता जरूर रहता है। जैसा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का झारखंड से रहा। आखिरी बार नेताजी गोमो रेलवे स्टेशन से ही ट्रेन पकड़कर रवाना हुए थे। नेताजी यहां कांग्रेस के रामगढ़ अधिवेशन में पहुंचे थे। साथ ही गांधी के समानांतर सहजानंद सरस्वती के साथ मिलकर अलग सभा की थी। रांची में लालपुर स्थित डॉ. सिद्धार्थ मुखर्जी के पिता क्रांतिकारी यदुगोपाल मुखर्जी से भी वे मशविरा लिया करते थे। झारखंड में रहने वाले बंगाली समाज के लोग और बंगभाषी समुदाय नेताजी को इन्हीं कारणों से लगातार याद रखे हैं और उनकी जयंती पर तरह-तरह के आयोजन होते हैं। वहीं छुट्टियां रद्द होने से समुदाय आहत है। सरकार को इस मामले में पत्र लिखा गया है और छुट्टी फिर से देने की बात कही गई है।