दूर रहती हैं बुरी आत्माएं
दरअसल ‘क्रिसमस नाम का वृक्ष’ हर दम हरा भरा रहने वाला पेड़ होता है। ऐसा माना जाता है कि इस प्रथा की शुरुआत प्राचीन काल में मिस्रवासियों, चीनियों ने की थी, ये लोग इस सदाबहार पेड़ की मालाओं, पुष्पहारों को जीवन की निरंतरता का प्रतीक मानते थे। उनका विश्वास था कि इन पौधों को घरों के आसपास रखने से बुरी आत्माएं दूर रहती हैं, तब से ही पेड़ को सजाने का रिवाज बन गया।
इसके बाद इसमें कुछ बदलाव भी किए गए। आज के समय में लोग इस पेड़ पर चॉकलेट विस्कुट फलों में सेव आदि लटकाने लगे। बैसे आधुनिक ‘क्रिसमस ट्री’ की शुरुआत पश्चिम जर्मनी में हुई, इस पेड़ को स्वर्ग वृक्ष का प्रतीक भी माना गया है, जिसके बाद जर्मनी के लोगों ने 24 दिसंबर को फर के पेड़ से अपने घर की सजावट करनी शुरू कर दी थी।
इसाईयों का मानना है रि जिस तरह से भगवीन य़शु नें अपने उपदेश से पूरी दुनियां में एकता पवित्रता को बनाए रखने का मार्ग दिखाया उसी तरह से यह ‘क्रिसमस ट्री’ भी प्रेम, पवित्रता, खुशी और भगवान का प्रतीक माना जाता है, जिसे सजाकर लोग प्रभु की ओर अपनी खुशियां जताते हैं।