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शोधकर्ताओं ने सर्जरी के दौरान मरीजों की नाक से निकाले गए टिशु का अध्ययन करने के बाद पाया कि नाक का जो हिस्सा सूंघने में मदद करता है वहां angiotensin-converting enzyme II (ACE-2) का स्तर बढ़ जाता है। यही से कोरोना वायरस (Coronavirus) शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करता करता है। जिसे “प्रवेश बिंदु” कहा जाता है।
European Respiratory Journal में प्रकाशित शोध में कोरोना से जुडी कई नई बातों के बार में विस्तार से समझा गया है। ये शोध Professor Andrew P. Lane और Dr. Mengfi Chen के नेतृत्व में किया गया है। प्रोफेसर एंड्रयू पी लेन के बताया कि उन्होंने 23 रोगियों के नाक के टिशु के सैंपल का जांच किया। इसके अलावा सात रोगियों के विंडपाइप का भी अध्ययन किया। इनमें से कोई भी मरीज कोरोनावायरस से संक्रमित नहीं था।
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Professor Lane ने बताया कि कोरोना संक्रमित होने के बाद नाक के सूधने वाले एंजाइम में angiotensin-converting enzyme II की मात्रा बढ़ जाती है जिसकी वजह से मरीज सूंघने की क्षमता खो देता है। इन्होंने बताया कि कोरोना अन्य लक्षणों की अनुपस्थिति में सूंघ न सकने का कारण बनता है।