यह मामला तब सामने आया था जब जुलाई 2017 में सिडेंट बॉडीगार्ड ने ग्रूम्स के रिक्त 03 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे। आवेदन में साफ-साफ इस बात का जिक्र किया गया था कि जाट, राजपूत और जाट-सिख जाति से संबंध रखता हो। ऐसे में हरियाणा के रहने वाले गौरव यादव ने जनहित याचिका दायर की और इस भर्ती प्रकिया को रद्द करने की मांग की। उनका आरोप था कि वह जाति को छोड़कर राष्ट्रपति के सुरक्षा गार्ड की भर्ती की सभी योग्यता रखते हैं। खास बात यह है कि पहले भी इस तरह की जनहित याचिका लगाई गई थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था।
बताते चलें कि राष्ट्रपति के सुरक्षा गार्ड की नियुक्ति में जाट, राजपूत और सिख जाट को ही शामिल करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने सेना की अनुशंसा पर 2013 में दिया था। हालांकि राष्ट्रपति के सुरक्षा में तैनात गार्डों की नियुक्ति हमेंशा से चर्चा में रही है, यही वह कारण है कि महज कुछ पदों की नियुक्ति के लिए हजारों आवेदन आते हैं। भारत में इसकी शुरूआत अंग्रेजों के समय में हुई थी। पहली बार 1773 में वारेन हैंस्टिंग्स को भारत का वायसराय जनरल बनाया गया तब उनकी सुरक्षा में 50 जवानों को शामिल किया गया था। यह व्यवस्था 1947 में आजादी के बाद आज भी जारी है।