श्री कृष्ण जी की पत्नियों में से रुक्मिणी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है और उन्हें देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है, फिर भी कृष्ण के साथ राधा का नाम अधिक प्रसिद्ध हैं और पूरी दुनिया में राधे-कृष्णा नाम की पूजा की जाती है। भागवत पुराण के अनुसार, आदि पराशक्ति भगवान विष्णु की भौहें के बीच केंद्र से पैदा हुई थी। फिर योग माया ने खुद को दो हिस्सों में विभाजित कर दिया। एक हिस्सा राधा बन गया और दूसरा हिस्सा लक्ष्मी बन गया।
हिन्दू ग्रंथों में राधा के अस्तित्व के बारे में केवल कुछ ही सबूत हैं। श्रीमद् भागवतम् या महाभारत सबसे पुराने ग्रंथ हैं, जहां हम उनके अस्तित्व के सबूत पा सकते हैं। लेकिन राधा और कृष्णा के बचपन के प्रेम को लोकप्रियता मध्यकालीन समय में भक्ति आंदोलन के दौरान गीतगोविन्द जैसे महाकाव्य से मिली थी। यह राधा की भक्ति और कृष्णा के लिए उनके प्यार के रूप में अधिक प्रचलित है। इसमें राधा और कृष्ण के अलग होने के दर्द और उनके अंतिम पुनर्मिलन की बात की गई हैं। जोकि आत्मा का परमात्मा के प्रति निःस्वार्थ प्रेम को दर्शाता है।