दरअसल इस तरह का दावा करने के पीछे भी एक बड़ा कारण है जिसमें एक देश की दूसरे देश के बीच प्रतिद्वंदिता चल रही है। कहा जाता है कि अमेरिका और ब्रिटेन के वैज्ञानिक इस बात का दावा कर रहे हैं कि सबसे पहले उन्होंने अपने शोध से पता लगाया था कि शुक्र ग्रह के बादलों में फोस्फीन गैस की मौजूदगी के संकेत मिले हैं, जिसके चलते वहां जीवन के होने की प्रबल संभावना है। लेकिन रूस इस बात का दावा कर रहा है कि इसकी खोज सबसे पहले वहां के वैज्ञानिकों ने की थी। और बता दिया था कि शुक्र पर जीवन संभव नहीं है। रोगोजिन ने दावा किया है कि सबसे पहले हमारे देश ने शुक्र पर सफलता पूर्वक लैंडिंग की थी और वहां की जानकारी दी थी।
अब रहा किसी ग्रह पर दावा ठोकने की बात, तो इसकी शुरुआत अमेरिका के द्वारा सबसे पहले की गई थी। साल 1960 में अमेरिका ने चंद्रमा पर अपने वैज्ञानिक को भेजकर वहां अमेरिकी झंडा लहराया था, उस समय अमेरिका और रूस एक दूसरे के कट्टर विरोधी थे। लेकिन वर्चस्व की लड़ाई जीतने के बाद भी अमेरिका ने भले ही पूरे चांद पर अपना होने का दावा ना किया हो, लेकिन उसने भी एक सांकेतिक इशारा कर दिया था।
रूस को यह बात आज तक हजम नही हो पाई और वो भी वैसा ही कुछ जताने की कोशिश कर रहा है। अब वो चांद पर ना सही शुक्र ग्रह पर अपना दावा ठोक रहा है। क्योंकि रूस ही पहला ऐसा देश है जिसने साल 1984 से अपने यान भेजने शुरू कर दिए थे। शुक्र ग्रह पर गहराई से अध्ययन भी रूस ने ही किया है।
विगत काल के दौरान रूसी स्पेस एजेंसी ने बहुत से अंतरिक्ष अभियान शुक्र ग्रह पर भेजे थे और सभी दस अभियान शुक्र ग्रह की सतह पर उतरने में सफल भी हुए थे इसके बाद वहां से बहुत ही अहम जानकारी मिलनी शुरू होने लगी थी।