आपको बता दें, जर्मनी के आउटडोर स्कल्पचर्स का म्यूजियम न्यूएनकिर्चेन में यह कोई दुर्लभ पत्थर नहीं है। हां यह अलग बात है कि यह दुर्लभ पत्थर के नाम से ही सुर्खियों में रहता है। लोग दूर-दूर से इसे देखने आते हैं और इसका एक्सपेरिमेंट करके देखते हैं। जानकारी के लिए बता दें यह एक कृतिम पत्थर है जिसके अंदर एक थर्मो इलेक्ट्रिक जेनरेटर लगा गया है और जब इसके नीचे आग लगाई जाती है जो की हीट एनर्जी को इलेक्ट्रिक एनर्जी में बदल देता है जिससे पत्थर के अंदर मौजूद इलेक्ट्रिसिटी मिलते ही वाई-फाई राउटर ऑन हो जाता है और इंटरनेट सिग्नल देने लगता है। बता दें कि इसे एरम बर्थोल नाम के शख्स ने बनाया है। इस दुर्लभ पत्थर का वजन करीब 1.5 टन है और यह एक कला है इसका नाम कीपअलाइव रखा गया है। फोन, इंटरनेट, Wifi के बिना आजकल के इंसान का जीवन अधूरा है। या ये कहें कि इंटरनेट अब लोगों के जीवन का हिस्सा बन चूका है। डिजिटल इंडिया बनने के बाद अब बिना इंटरनेट के शायद ही कोई काम हो पाता है। लेकिन ऐसे कुछ और पत्थरों का अविष्कार किया जाएगा तो शायद इंटरनेट की कुछ समस्या दूर की जा सकती है।