चूहे के बिल में सांपों का बसेरा, बच्चों ने पानी डाला तो निकले 200 से अधिक नागराज यहां के, गांधी अस्पताल (Gandhi Hospital ) में भर्ती एक कोरोना (Corona virus) मरीज पिछले कई दिनों से लापता है। लापता पीड़ित की पत्नी के मुताबिक वे और उसकी दो बेटी कोरोना संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती हुई थी। जिन्हें ठीक होने के बाद 16 मई को अस्पताल से डिस्चार्ज कर किया गया था। लेकिन उनके पति का अभी तक कोई अता पता नहीं हैं। पत्नी ने बताया कि उसका 42 वर्षीय पति भी कोरोना से संक्रमित था।
खबरों के मुताबिक लापता शख्स का नाम ए मधुसूदन है। जो एक राइस मिल में काम करते थे । उनकी पत्नी आलमपल्ली माधवी (Allampally Madhavi ) ने पती के लापता होने के बाद एक ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने तेलंगाना सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री केटी रामाराव (Telangana Chief Minister’s son K.T.Rama Rao) को भी टैग किया।अपने ट्वीट में माधवी ने लिखा कि उनके पति अस्पताल से 16 मई को छुट्टी मिलने के बाद उनके साथ घर नहीं आए।
उन्होंने आगे लिखा कि उनके पति को 27 अप्रैल को किंग कोठी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद 30 अप्रैल को गांधी अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों का कहना है कि उनके पति का एक मई को देहांत हो गया था और 2 मई को उनके दाह संस्कार की प्रक्रिया पूरी की गई थी।
वहीं गांधी अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि शख्स कि एक मई को ही मृत्यु हो गई थी और अगले दिन ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) के अधिकारियों द्वारा उसके परिवार के सदस्यों को सूचित करने के बाद उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया था।
गांधी अस्पताल के अधीक्षक डॉ एम राजा राव ने कहा है कि महिला के पति जो कोरोना के साथ सांस लेने की बीमारी और निमोनिया से पीड़ित थे। अस्पताल में भर्ती कराने के एक दिन बाद ही एक मई की शाम को देहांत हो गया। इसके बाद अस्पताल की तरफ से परिवार के सदस्यों को सूचित किया गयया और शव पुलिस को सौंप दिया गया। इसके बाद जीएचएमसी द्वारा शव का अंतिम संस्कार किया गया था और सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया।
बता दें अस्पताल की और से सब कुछ साफ कर देने के बाद भी माधवी ने का कहना है कि उन्हें विश्वास है कि उनके पति जीवित हैं। वह गांधी अस्पताल अधीक्षक के दावे से सहमत नहीं है कि परिवार को इसकी जानकारी दी गई थी और परिवार के सदस्यों के आगे नहीं आने पर शव पुलिस को सौंप दिया गया था।
माधवी ने आरोप लगाया कि अस्पताल के अधिकारियों ने प्रक्रिया पूरी करने के लिए उनकी अनुमति नहीं ली थी और ना ही उनके पति के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन कराए। उन्होंने कहा कि अस्पताल के पास किसी सामान को कोई सबूत नहीं दिखाया।