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कोविड अस्पताल के हालात पर लेडी डॉक्टर की पोस्ट वायरल, पढ़कर नहीं रुकेंगे आंसू

locationनई दिल्लीPublished: Apr 18, 2021 04:16:15 pm

भले ही आपने कोरोना वायरस के बारे में कितना कुछ पढ़ा-सुना-देखा हो, लेकिन अगर आप डॉक्टर नहीं हैं तो कोविड अस्पतालों के भीतर की क्या हकीकत है, क्या माहौल है और खुद स्वास्थ्यकर्मियों के क्या हालात हैं, नहीं जान सकते। एक महिला डॉक्टर ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट पर रोज सामने आने वाली हकीकत और खुद के दर्द को ऐसे बयां किया है कि…

You will cry while reading post of a lady doctor telling horrors of COVID-19 hospitals

You will cry while reading post of a lady doctor telling horrors of COVID-19 hospitals

नई दिल्ली। यों तो अब तक आपने कोरोना वायरस के कहर, कारण, आंकड़े, हालात बताने वाली तमाम खबरें पढ़ी होंगी, लेकिन सोशल मीडिया पर भारत की एक महिला डॉक्टर की हकीकत भरी भावुक पोस्ट ने लोगों के रोंगटें खड़े कर दिए हैं। कोविड अस्पताल के भीतर के भयावह हालात और मरीजों की हालत के बारे में लिखी इस पोस्ट को पढ़कर आप भीतर से ना हिल जाएं, ऐसा नहीं हो सकता।
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दरअसल, एक महिला डॉक्टर सांध्रा (यूजरनेम) ने तीन दिन पहले इंस्टाग्राम पर कोरोना वायरस से जुड़ा एक पोस्ट लिखा, जो वायरल हो चुका है। खबर लिखे जाने तक इस पोस्ट को 3 लाख से ज्यादा लोगों ने लाइक किया है और 5100 से ज्यादा ने इस पर कमेंट किए हैं। इस पोस्ट में सांध्रा ने कोविड-19 अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों की दुर्दशा और उनके सामने आने वाली उन दिल दहला देने वाली घटनाओं का जिक्र किया, जिसमें वह लोगों को कोरोना वायरस बीमारी से संक्रमित उनके परिवार के सदस्यों की स्थिति के बारे में बताती हैं और फिर उनके दर्द से रूबरू होती हैं।
इस पोस्ट में सांध्रा ने अपने दर्दनाक अनुभव के बारे में बात की और इस बात पर विचार किया कि वह कैसे ज्यादा सहनशील हो सकती हैं और मरीजों में प्रेम बांट सकती हैं। अपनी इस वायरल इंस्टाग्राम पोस्ट में उन्होंने देश के नागरिकों से आग्रह किया है कि “जब आप बाहर हों तो बस अपना मुखौटा यानी मास्क जरूर पहनें।” पेशे से एक डॉक्टर सांध्रा ने इस पोस्ट में अपने जज्बातों को ऐसे पिरोया है कि लोग इस पर अपनी प्रतिक्रिया देने से खुद को रोक नहीं पा रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि भले ही वह डॉक्टर हैं और उनका काम मरीजों को ठीक करना है, लेकिन रोजाना सामने आने वाली परिस्थितियों को देखने के बाद वह टूट जाती हैं, रोती हैं और खुद से कहती हैं कि वह और ज्यादा काम करने में सक्षम हों, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को ठीक कर सकें।
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जज्बातों से भरी इस पोस्ट में सांध्रा ने इस तरह से अपनी बात कही है कि पढ़ने वाला भावनाओं में बह जाता है। झूठ बोल कर मरीजों को दिलासा देना, दम तोड़ते मरीजों को देखना, बॉडी बैग में रखे शव, मरीजों द्वारा उन्हें बचाने के लिए कही जाने वाली बातें… और भी ना जाने कितनी बातें हैं, जो शायद ही कोरोना के रोज सामने आते आंकड़ों के बीच कोई समझ पाए।
“बेहद कम लोग जो इसे (पोस्ट) को पढ़ने की तकलीफ उठाएंगे, मैं अपनी जिंदगी के पिछले दो हफ्तों की घटनाओं का जिक्र कर रही हूं,” यहां से शुरुआत करने के बाद सांध्रा ने लिखा, “मैं लोगों को बता रही हूं कि उनके 22 वर्षीय बेटे की मृत्यु हो गई है, मरीजों से झूठ बोल रही हूं, उनसे कह रही हूं कि आप ठीक हो जाओगे, जबकि मुझे अंदर से पता है कि वे ठीक नहीं होंगे… पूरी रात बेदम महिलाओं को रोते हुए अल्लाह अल्लाह पुकारते हुए सुन रही हूं, लोगों को अपने सामने टूटते हुए देख रही हूं…”
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एक कोविड-19 मरीज जिसे वेंटिलेटर पर रखा गया था और अंततः उसकी मृत्यु हो गई, के बारे में बताते हुए सांध्रा लिखती हैं, “मेरे दोस्त ने जब एक महिला मरीज के नली लगाई, तो उसके अंतिम शब्द थे कि उसके घर पर एक 11 और एक 4 साल का बच्चा है, उसे मरने ना दें (वह मर गई)… बच्चों को बता रही हूं कि उन्हें उनकी मां का शव नहीं मिल सकता है… मां हमारे सामने हाथ जोड़कर खड़े होकर हमें अपने बच्चों की जान बचाने के लिए कहती हैं… बंद शवों को देख रही हूं और खुद से कह रही हूं कि सोचना बंद करो और अपना काम करो…”
डॉक्टर सांध्रा की ये पोस्ट ऐसे नाजुक वक्त में सामने आई है जब भारत में पिछले दो दिनों से रोजाना कोरोना वायरस के रिकॉर्डतोड़ दो लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं और देश में अब तक कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या 1.42 करोड़ से ज्यादा हो गई है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर में तेजी से बढ़ते मामलों के बाद कई राज्यों ने इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए नाइट कर्फ्यू और वीकेंड लॉकडाउन सहित कई प्रतिबंध लगाए हैं। राज्यों ने बिना मास्क वाले लोगों के लिए भी भारी जुर्माना भी लगाया है।
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सांध्रा ने ट्रॉमा डॉक्टरों के हालात के बारे में भी बात की और कामना की कि वे लगातार मेहनत करते रहें क्योंकि कोविड-19 से संक्रमित होने पर उनके परिवार के सदस्यों को भी स्वास्थ्य कर्मियों की सहायता की जरूरत पड़ सकती है। उन्होंने लिखा, “मैं जितनी मेहनत कर सकती हूं कर रही हूं और दुआ करूंगी कि अन्य स्वास्थ्यकर्मी अगर मेरे माता-पिता को कोविड होने पर अस्पताल में भर्ती होना पड़े, तो उनके लिए भी ऐसा ही करेंगे… जो मैं करने के लिए मजबूर हूं/देखने के लिए मजबूर हूं, उसके लिए वापस घर आकर रो रहीं हूं…”
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सांध्रा यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने आगे लिखा, “मैं रो रही हूं कि कैसे थोड़ी और अधिक सहनशील हो सकती हूं और उन लोगों को बहुत अधिक प्यार दे सकती हूं, जो दम घुटने के कारण मर रहे हैं… (वो भी छह घंटों तक पीपीई किट में रहते हुए इस बारे में चिंतित कि कहीं से वायरस के संपर्क में ना आ जाऊं, अपने मरीजों की तरह मर ना जाऊं, यह सोचना आपको सबसे प्यारा इंसान नहीं बनाता है)। यह सोचने के लिए कि एक दर्शक के रूप में मुझे जो दर्द महसूस हो रहा है, वह उस दर्द का एक चौथाई हिस्सा भी नहीं है जिसे हमारे मरीज/उनके रिश्तेदार महसूस करते हैं।”
उन्होंने आगे लिखा, “मेरा जरूरत से ज्यादा सोचना कई बार इतना परे चला जाता है कि मैं खुद से पूछती हूं कि क्या मुझे मेरे दोस्तों को बता देना चाहिए कि अगर कोविड के चलते मेरी मौत होने वाली हो, तो मैं नली नहीं लगवाना चाहूंगी।”
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जैसा कि सरकारें कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर आंशिक लॉकडाउन करती हैं, सांध्रा कहती हैं, “मेरा विश्वास कीजिए कि आपके लॉकडाउन मुश्किल नहीं हैं… आपने वो भयावहता नहीं देखी है, जो हमने देखी है… काश मैं आपको उस दर्द के वीडियो दिखा पाती जो मैं देखती हूं, वो भी केवल आपको डराने के लिए कि बस आप सभी घर के अंदर रहें…”
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घर के भीतर रहने में परेशानी बताने वाले लोगों को समझाते हुए सांध्रा ने आगे लिखा, “यह कहना कि यह मुश्किल है, इस सदी की खामोशी या चुप्पी है… मैं इस दर्द को नहीं देखना चाहती… हममें से कोई भी नहीं। कृपया हमें इन सबमें मत डालो।”
यह स्वीकार करते हुए कि हर किसी के लिए काम से दूर रहना और लंबे समय तक अपने घरों के अंदर रहना संभव नहीं हो सकता है, डॉक्टर सांध्रा ने अंतिम पंक्ति में लिखा, “कृपया हमारी एक बात मान लीजिए, मैं आपसे घर के भीतर रहने के लिए नहीं कह रही हूं, मैं समझती हूं कि हर व्यक्ति इतना संपन्न नहीं है उसके घर के भीतर बने रहना संभव हो… कृपया जब भी बाहर निकलें अपना मास्क जरूर पहनें…”
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