स्थाई अकाल पीडि़त क्षेत्र को भद्रा का सहारा
दावणगेरे
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बजट में महत्वपूर्ण भद्रा ऊपरीयोजना के लिए 3 हजार करोड़ रुपए जारी किए हैं। स्थाई अकाल पीडि़त क्षेत्र कहलाए जाने वाले जगलूरु तालुक में पानी की किल्लत को मिटाने की दिशा में पहला ठोस कदम है। राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त भद्रा ऊपरीनहर योजना के लिए केंद्र सरकार की ओर से 80 प्रतिशत अनुदान भरा जाएगा। राज्य सरकार को 20 प्रतिशत अनुदान देना होगा। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बजट में तीन हजार करोड़ रुपए अनुदान की घोषणा की है। जगलूरु तालुक की पानी की समस्या का समाधान करने की दिशा में यह ठोस कदम है। वास्तविकता तो यह है कि जगलूरु तालुक में कोई नदी या अन्य कोई जलस्रोत नहीं है। 70-80 साल से यहां की जनता सूखे की समस्या का सामना कर रहे हैं। बारिश की आंख-मिचौनी के कारण जीवन निर्वाह त्रिशंकु बन गया है।
जगलूरु तालुक में अकाल व पेयजल की समस्या तो मानो स्थाई है। जगलूरु का दूसरा नाम ही मानो पानी की किल्लत था। गर्मी के दिनों में ही नहीं बल्कि अन्य दिनों में पानी नसीब होना दुर्लभ था। बारिश के दिनों मे भी बरसात नहीं होती। यहां के लोगों का जीवन ही त्रिशंकु बना था। पानी की समस्या का दूसरा नाम ही जगलूरु था। जगलूरु तालुक को इन दिनों पानी उपलब्ध करवाने के लिए कई योजनाएं जारी की गई है। इन योजनाओं में से एक योजना भद्रा ऊपरीनहर योजना भी एक है। निर्धारित समय पर यदि पानी बहे तो जगलूरु तालुक के 9 तालाब भर जाएंगे। इस योजना से पेयजल तो उपलब्ध होगा ही साथ ही बूंद-बूंद सिंचाई के लिए भी पर्याप्त जल उपलब्ध होगा।
भद्री उपरी नहर योजना के माध्यम से जगलूरु तालुक के संगेनहल्ली, बिदरीकेरे, भवसमुद्र, मेदगिनकेरे, जम्मपुर, निबगूरु, माचिकेरे तथा जगलूरु सहित कुल नौ तालाबों को भरा जा रहा है। तालाबों को भरकर इस पानी का उपयोग 2.10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बूंद-बूंद सिंचाई के लिए किया जा रहा है। तालाब के पानी को शुध्द कर पेयजल के रूप में उपलब्ध करवाने की यह योजना है। इस योजना के लिए सरकार की ओर से तीन हजार करोड़ रुपए का अनुदान सुरक्षित रखा गया है जिसकी वजह से समस्याएं सुलझने के आसार दिखाई दे रहे हैं। किसान वर्ग शीघ्र ही इस योजना कार्य को पूर्ण करने की मांग कर रहे हैं।
यह मिलेगा लाभ
तालाब में पानी होने की वजह से भूमिगत जलस्तर में वृध्दि होगी। नलकूप में पानी की मात्रा बढ़ेगी। इस योजना से कई लाभ हैं। भद्रा ऊपरीनहर योजना के अंतर्गत जगलूरु तालुक को शामिल करने की मांग को लेकर यहां की जनता ने संघर्ष किया परिणाम स्वरूप भद्रा ऊपरीनहर योजना के अंतर्गत तालुक को शामिल किया गया है।
भद्रा ओवरपास परियोजना के तहत जगलुर तालुक को 2.10 टीएमसी पानी आवंटित किया गया है। जिन लोगों ने हल्की बारिश नहीं देखी है, वे 2.10 टीएमसी पानी पाकर काफी खुश हुए। भद्रा ओवरपास परियोजना के अलावा, दीतूर सिंचाई योजना के माध्यम से जलापूर्ति भी जगलुर तालुक की छवि बदल रही है।
इनका कहना है
भद्रा ऊपरीनहर योजना के माध्यम से जगलूरु तालुक के नौ तालबों को भरा जा रहा है। पेयजल के साथ साथ 2.10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बूंद बूंद की सिंचाई होने की वजह से इससे काफा लाभ होगा। निर्धारित समय पर काम पूर्ण करने की आवश्यकता है।
-के.बी. कल्लेरुद्रेश, सदस्य, भद्रा नहर परियोजना, तकनीकी समिति
दावणगेरे
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बजट में महत्वपूर्ण भद्रा ऊपरीयोजना के लिए 3 हजार करोड़ रुपए जारी किए हैं। स्थाई अकाल पीडि़त क्षेत्र कहलाए जाने वाले जगलूरु तालुक में पानी की किल्लत को मिटाने की दिशा में पहला ठोस कदम है। राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त भद्रा ऊपरीनहर योजना के लिए केंद्र सरकार की ओर से 80 प्रतिशत अनुदान भरा जाएगा। राज्य सरकार को 20 प्रतिशत अनुदान देना होगा। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बजट में तीन हजार करोड़ रुपए अनुदान की घोषणा की है। जगलूरु तालुक की पानी की समस्या का समाधान करने की दिशा में यह ठोस कदम है। वास्तविकता तो यह है कि जगलूरु तालुक में कोई नदी या अन्य कोई जलस्रोत नहीं है। 70-80 साल से यहां की जनता सूखे की समस्या का सामना कर रहे हैं। बारिश की आंख-मिचौनी के कारण जीवन निर्वाह त्रिशंकु बन गया है।
जगलूरु तालुक में अकाल व पेयजल की समस्या तो मानो स्थाई है। जगलूरु का दूसरा नाम ही मानो पानी की किल्लत था। गर्मी के दिनों में ही नहीं बल्कि अन्य दिनों में पानी नसीब होना दुर्लभ था। बारिश के दिनों मे भी बरसात नहीं होती। यहां के लोगों का जीवन ही त्रिशंकु बना था। पानी की समस्या का दूसरा नाम ही जगलूरु था। जगलूरु तालुक को इन दिनों पानी उपलब्ध करवाने के लिए कई योजनाएं जारी की गई है। इन योजनाओं में से एक योजना भद्रा ऊपरीनहर योजना भी एक है। निर्धारित समय पर यदि पानी बहे तो जगलूरु तालुक के 9 तालाब भर जाएंगे। इस योजना से पेयजल तो उपलब्ध होगा ही साथ ही बूंद-बूंद सिंचाई के लिए भी पर्याप्त जल उपलब्ध होगा।
भद्री उपरी नहर योजना के माध्यम से जगलूरु तालुक के संगेनहल्ली, बिदरीकेरे, भवसमुद्र, मेदगिनकेरे, जम्मपुर, निबगूरु, माचिकेरे तथा जगलूरु सहित कुल नौ तालाबों को भरा जा रहा है। तालाबों को भरकर इस पानी का उपयोग 2.10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बूंद-बूंद सिंचाई के लिए किया जा रहा है। तालाब के पानी को शुध्द कर पेयजल के रूप में उपलब्ध करवाने की यह योजना है। इस योजना के लिए सरकार की ओर से तीन हजार करोड़ रुपए का अनुदान सुरक्षित रखा गया है जिसकी वजह से समस्याएं सुलझने के आसार दिखाई दे रहे हैं। किसान वर्ग शीघ्र ही इस योजना कार्य को पूर्ण करने की मांग कर रहे हैं।
यह मिलेगा लाभ
तालाब में पानी होने की वजह से भूमिगत जलस्तर में वृध्दि होगी। नलकूप में पानी की मात्रा बढ़ेगी। इस योजना से कई लाभ हैं। भद्रा ऊपरीनहर योजना के अंतर्गत जगलूरु तालुक को शामिल करने की मांग को लेकर यहां की जनता ने संघर्ष किया परिणाम स्वरूप भद्रा ऊपरीनहर योजना के अंतर्गत तालुक को शामिल किया गया है।
भद्रा ओवरपास परियोजना के तहत जगलुर तालुक को 2.10 टीएमसी पानी आवंटित किया गया है। जिन लोगों ने हल्की बारिश नहीं देखी है, वे 2.10 टीएमसी पानी पाकर काफी खुश हुए। भद्रा ओवरपास परियोजना के अलावा, दीतूर सिंचाई योजना के माध्यम से जलापूर्ति भी जगलुर तालुक की छवि बदल रही है।
इनका कहना है
भद्रा ऊपरीनहर योजना के माध्यम से जगलूरु तालुक के नौ तालबों को भरा जा रहा है। पेयजल के साथ साथ 2.10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बूंद बूंद की सिंचाई होने की वजह से इससे काफा लाभ होगा। निर्धारित समय पर काम पूर्ण करने की आवश्यकता है।
-के.बी. कल्लेरुद्रेश, सदस्य, भद्रा नहर परियोजना, तकनीकी समिति