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समस्त सुखों का स्थान है मोक्ष

locationहुबलीPublished: Jul 07, 2021 07:18:55 pm

Submitted by:

MAGAN DARMOLA

आचार्य विजयरत्न सूरीश्वर ने कहा कि सुख सभी को प्रिय लगता है और दुख सभी को अप्रिय लगता है। परंतु सुख दुख के वास्तविक स्वरूप से सारा जगत अज्ञात है। सारी दुनिया भौतिक सुख और उस सुख के साधनों में सुख ढूंढ़ती रहती है।

समस्त सुखों का स्थान है मोक्ष

समस्त सुखों का स्थान है मोक्ष

विजयपुर. जैन आचार्य विजयरत्न सूरीश्वर ने कहा है कि जग के सभी जीवों की एकमात्र इच्छा यही होती है कि उसे सुख मिले और दुख दूर हो। वे शहर की महावीर कॉलोनी के महावीर भवन में धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सुख सभी को प्रिय लगता है और दुख सभी को अप्रिय लगता है। परंतु सुख दुख के वास्तविक स्वरूप से सारा जगत अज्ञात है। सारी दुनिया भौतिक सुख और उस सुख के साधनों में सुख ढूंढ़ती रहती है।

दिन रात पांच इन्द्रिय के अनुकूल शब्द, रूप, गंध, रस और स्पर्श को पाने के लिए मेहनत करती रहती है। सभी सुख की सामग्री प्राप्त होने पर भी व्यक्ति सुख के स्वाद को प्राप्त नहीं कर पाता है। अधिक प्रयत्न करने पर भी सुखी बनने की इच्छा पूरी नहीं होती है। इसका मुख्य कारण यही है कि भौतिक पदार्थों में सुख ही नहीं है क्योंकि सुख आत्मा के भीतर ही रहता है। आत्मा के समस्त सुख का स्थन मोक्ष ही है।

मोक्ष में आत्मा देह से मुक्त होने से उन्हें कोई भी समस्या ही नहीं है। जीवन की सभी समस्याओं का मूल शरीर है। इस शरीर को टिकाने के लिए लाख मेहनत करें तो भी क्षणभंगुर यह शरीर अपने विनश्वर स्वभाव को छोड़ता नहीं है।

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