और करीब होंगे हरेकल-पावूरु
मेंगलूरु से सड़क के जरिए तोक्कोट्टु-कोणाजे-हरेकल-पावूरु जाने के लिए लगभग 30 किलोमीटर की दूरी तय करना है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 75 के अड्यार-कण्णूर के जरिए नेत्रावती नदी पार कर के जाना हो तो हरेकल-पावूरु के लिए केवल 12 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी। फिलहाल हरेकल, पावूरु, इन्नोली के आसपास की जनता कोणाजे के जरिए चक्कर काटकर आने के छुटकारा दिलाने के लिए कुछ लोग नाव के जरिए नेत्रावती नदी पार कर अड्यार पहुंचे हैं परन्तु वाहनों के आवागमन के लिए अब तक व्यवस्था नहीं थी। नए वेंटेड बांध पर वाहन परिवहन शुरू होने पर हरेकल, पावूरु, इन्नोली के अलावा कोणाजे भी मेंगलूरु के करीब होंगे। तोक्कोट्टु-देरलकट्टे सड़क पर दबाव भी कम होगा।भविष्य में मेंगलूरु में पानी की जरूरत के समाधान की दिशा में नए सिरे से निर्माणाधीन हरेकल बांध से 50 एमएलडी अतिरिक्त पानी को मेंगलूरु लाने पर विचार किया जा रहा है। मेंगलूरु में जलसिरी योजना जारी है, आगामी दिनों में 24 गुणा 7 की तर्ज पर नियमित जलापूर्ति व्यवस्था होगी। इस दौरान पेश आने वाली पानी की कमी से निपटने के लिए हरेकल वेंटेड बांध से अतिरिक्त पानी प्राप्त करने के जरिए समाधान तलाशने पर विचार किया जा रहा है। इसके अनुसार तुंबे बांध के करीब अड्यार भाग में दस एकड़ जमीन को महानगर निगम ने निर्धारित कर जिलाधिकारी ने मंजूरी दी है। यहां सुसज्जित जल शुद्धीकरण इकाई आरम्भ कर, भविष्य में हरेकल बांध से पानी प्राप्त कर शुद्धीकरण कर मेंगलूरु को आपूर्ति करने पर विचार किया गया है। इसके लिए मेंगलूरु दक्षिण तथा उत्तर के विधायों के जरिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।
पर्यटन के अवसर खुलेंगे
अड्यार-हरेकल के बीच नेत्रावती नदी किनारे के खूबसूरत प्राकृतिक सौंदर्य स्थल है। अब तक यहां एक किनारे से दूसरे किनारे को परिवहन करने के लिए नांव पर ही निर्भर होना पड़ता था। नाव परिवहन के लिए बहुत सारे पर्यटक आते थे। अब बांध निर्माण कोने के कारण यह पर्यटन उद्योग के लिए नए अवसर खोलेगा। बोटिंग, वॉटर स्पोर्ट्स व्यवस्था के लिए भी यह उचित स्थल होगा। अड्यार के करीब नेत्रावती नदी पर निर्माणाधीन नए वेंटेड बांध कार्य को लगभग 192 करोड़ रुपए की लागत में किया जा रहा है। कार्य अंतिम चरण में है। बांध के दोनों किनारों को संपर्क उपलब्ध करने के लिए मिट्टी भराने का कार्य बकाया है। आगामी बारिश के बाद बांध में जल संग्रह होगा।–गोकुल दास, अधिकारी, लघु सिंचाई विभाग, दक्षिण कन्नड़ जिला