हुबली

कोरोना के बाद अब बाढ़ ने तोड़ी कोल्हापुर की कमर

कोरोना के बाद अब बाढ़ ने तोड़ी कोल्हापुर की कमर

हुबलीJul 30, 2021 / 04:08 pm

S F Munshi

कोरोना के बाद अब बाढ़ ने तोड़ी कोल्हापुर की कमर

कोरोना के बाद अब बाढ़ ने तोड़ी कोल्हापुर की कमर
-देश में सबसे ज्यादा कोरोना के केस कोल्हापुर के ही आए
-अब बाढ़ ने किया व्यापारियों का हजार करोड़ का नुकसान
-सामान खराब होने से कारोबारियों की आंखों में आंसू
-तीन दिन में हुई 500 मिलीमीटर बारिश में डूबे खेत-खलिहान
कोल्हापुर
पिछले चार माह से जिले में कोरोना कहर बरपा रहा था वहीं अब आई बाढ़ हजारों व्यापारियों-किसानों की आंखों में आंसू ले आई है।
राज्य ही नहीं पूरे देश में कोरोना मरीजों की संख्या और मौत की दर कोल्हापुर में सबसे ज्यादा रही। साथ ही में लगातार लॉकडाउन के चलते आम आदमी से लेकर व्यापारी सभी परेशान हुए। ऐसे में लॉकडाउन में कुछ हद तक शिथिलता आते हुए निसर्ग ने कोल्हापुर के लोगों की और एक परीक्षा ली। लगातार तीन दिन 500 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हुई और पूरे जिले में बाढ़ आ गई।
खेतीप्रधान, उद्यमशील के तौर पर पहचान वाले कोल्हापुर जिले के दु:ख का अंत नहीं दिखाई दे रहा। बारिश और बाढ़ से हुआ नुकसान का आंकड़ा भी डर पैदा करने वाला है। गए तीन सालों से एक के बाद एक आ रहा संकट लोगों को डरा रहा है। बाढ़ से हुई वित्तहानि का सरकारी आंकड़ा 250 करोड रुपए है लेकिन प्रत्यक्ष रूपमें लगभग एक हजार करोड़ रुपए का नुकसान जिले का हुआ है। सभी घटकों का आर्थिक चक्र बिगड़ गया है। इस आपत्ति से अब उबरें कैसे यह सवाल खड़ा है।
दो साल पहले यानी 2019 में कोल्हापुर जिले ने बाढ़ का रौद्ररूप अनुभव किया। उस समय भी आधा शहर और 500 के ऊपर गांव पानी के नीचे थे। उस आपत्ति में लगभग दो हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। उसके बाद पिछले साल से कोरोना का संसर्ग पीछा कर रहा है। कोरोना की महामारी और लॉकडाउन से आर्थिक चक्र अस्त-व्यस्त हुआ है। पिछले साल 6 माह और इस साल 100 दिन व्यापार बंद रहा। मुनाफा नहीं मिले लेकिन मुद्दल इतनी बिक्री, व्यवसाय नहीं हुआ। बैंकों का कर्जा और सरकारी कर से व्यापारी-व्यावसायिक परेशान रहे। इस साल कोरोना संसर्ग में हर दिन जिले में 1500 से अधिक कोरोना मरीज मिलने से डर बढ़ा। घर से बाहर निकलने के लिए बंधन आए। खरीदारी-बिक्री बंद, व्यवसाय बंद। इससे लोगों की समस्या बढी। कोरोना के विरोध में लड़ाई चल रही थी उसी समय तीन दिन बाढ़ ने कहर ढाया। पंचगंगा नदी का जलस्तर 56 फीट तक पहुंचा और 400 के ऊपर गांव बाधित हुए। लोगों की आँखों के सामने कईयों के घर डूबे। पूरा संसार कीचड़ में गया। दुकान, कार्यालय पानी से भरने से बड़ा नुकसान हुआ। किसानों का बुरा हाल हुआ। जुलाई के पहले 15 दिनों में बारिश चली गई जिससे फसल चली गई, फिर से बुआई करनी पड़ेगी ऐसा डर किसानों को सता रहा था। इस बीच जून की आखिर में हुई अच्छी बारिश से फसल अच्छी होने की उम्मीद जगी लेकिन वह बारिश, बाढ़ में डूबी, सब्जी, फल खराब हो गए। खड़ा गन्ना गिर गया। उद्योग बंद रहे। वाहन पानी में डूबने से उसकी मरम्मत का खर्चा बड़ा है। जिससे जिले में अंदाजन हजार करोड रुपए का नुकसान हुआ। इसमें एक ही बात अच्छी थी कि 2019 में बाढ को लेकर हर कोई गाफिल रहा। हर किसी का मानना था कि हर साल आता है उतना ही पानी आएगा और दूसरे दिन से कम होता जाएगा लेकिन 2019 में एक ही रात में लगभग दस फीट पानी बढ़ा जिससे कई घर, दुकान, गाड़ी, मालमत्ता को हिलाने को किसी को समय नहीं मिला। ऐसे में तीन सालों में दो बार बाढ़ की आपत्ति आने से आर्थिक नुकसान हुआ। किसान व आम आदमी के आँखे रुकने का नाम हीं नही ले रहे हैं। महावितरण कंपनी का भी बाढ़ से 23 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

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