सारे धर्मग्रंथ व पुस्तकें शिक्षा के ऐतिहासिक दस्तावेज[typography_font:14pt;” >कराड़श्री राजस्थान जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ के तत्त्वावधान एवं आचार्य महेंद्रसागर सूरि की प्रेरणा से यात्रा पर निकला युवा स्पेशल संघ इस्लामपुर पहुंचा। यहां पहुंचने पर संघ का स्थानीय जैन संघ की ओर से सामैया व स्वागत किया गया।यहां धर्मसभा में प्रवचन के दौरान आचार्य ने कहा कि सारे धर्मशास्त्र और ग्रंथ-किताबें तीर्थंकरों-अवतारों और ऋषि मुनियों की शिक्षाओं का बखूबी वर्णन करते हैं। ये शिक्षा किसी ऐतिहासिक दस्तावेजों से कम नहीं हैं। उनकी शिक्षा मात्र अपने-अपने धर्मीजनों व अनुयायियों के लिए ही आदर्श रूप नहीं हैं, बल्कि संसार की किसी भी जाति, पंथ और किसी भी धर्म के अनुयायी के लिए है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि आज भी निर्विवाद रूप से उनकी शिक्षा का अनुशरण करना ही उन तीर्थंकरों अवतारी पुरुषों व गुरुओं की बातों पर अमल करना ही उनकी सच्ची भक्ति है। कई ऐसी भी किताबें हैं, जिनमें जीवन से जुड़ी हुई खास बातें बताई जाती है। धर्म संग्रह आदि ग्रंथ भी ऐसे ही ग्रंथ हैं। उनमें कई ऐसी बातें बताई गई हैं, जो कि सच्चे और श्रेष्ठ जीवन जीने की सच्ची निशानी है। अगर आज ये बातें युवाओं के सामने रखी जाएं तो निश्चित रूप से उनके लिए काफी उपयोगी साबित होंगी।उन्होंने कहा कि गुरु-शिष्य में सिर्फ सेवा और चीजों का ही लेनेदेन नहीं होना चाहिए, बल्कि उनके बीच विचारों और जिम्मेदारियों का भी लेनदेन होना चाहिए। गुरु-शिष्य के बीच बिना किसी झिझक के विचारों व बातों का आदान-प्रदान होना चाहिए। इस दौरान धर्मसभा में यहां विराजमान जयभानु शेखर, विजय मुनि, ओंकारशेखर एवं मुनि पद्यसागर आदि ने भी युवाओं को संबोधित किया।