अमृतेश्वर मंदिर कल्याणी चालुक्य वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण
हुबलीPublished: Sep 22, 2023 06:33:02 pm
- अन्निगेरी से अन्य शहरों में शिफ्ट हो रहे प्रवासी
- दो दशक पहले एक दर्जन परिवार थे, अब राजस्थान मूल के छह परिवार ही
- कभी राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहा था अन्निगेरी


Amruteshwara Temple
अन्निगेरी (धारवाड़). अतीत में महत्वपूर्ण राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहा धारवाड़ जिले के अन्निगेरी विकास की बाट जोह रहा है। बिजनस के लिहाज से अधिक डवलप नहीं होने से प्रवासी अन्य शहरों की तरफ रूख कर रहे हैं। करीब दो दशक पहले यहां राजस्थान मूल के जैन समाज के करीब एक दर्जन परिवार बिजनस कर रहे थे। अब अधिकांश अन्य शहरों में शिफ्ट हो चुके हैं। राजस्थान मूल के छह परिवार ही अब निवास कर रहे हैं। नए प्रवासी बिजनस के लिए इस शहर में कम आ रहे हैं।
पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे ऐतिहासिक शहर अन्निगेरी में वर्ष 1050 में बना अमृतेश्वर मंदिर कल्याणी चालुक्य वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है। बड़े व सुंदर काले पत्थरों से निर्मित अमृतेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित मंदिर है। द्रविड़ शैली में निर्मित इस मंदिर की छत 76 स्तंभों पर टिकी हुई है। मंदिर की दीवारें पौराणिक आकृतियों की नक्काशी से ढकी हैं। मंदिर के कार उत्सव यानी रथोत्सव के समय भगवान अमृतेश्वर की मूर्ति को रथ में जुलूस के रूप में निकाला जाता है।
अमृतेश्वर मंदिर का उल्लेख पहली बार कल्चुरी राजा बिज्जल के शिलालेख में आया है। इसके पहले का कोई भी शिलालेख इस मंदिर या इसके इष्टदेव के बारे में नहीं बताता। अन्निगेरी महान कन्नड़ कवि आदिकवि पम्पा का जन्मस्थान है। कर्नाटक सरकार ने अन्निगेरी में पम्पा फाउंडेशन की स्थापना कर पम्पा पुरस्कार की घोषणा की।
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चार सौ से अधिक दुकानें
अन्निगेरी की मौजूदा समय में जनसंख्या करीब 31 हजार है। शहर में 408 ट्रेड लाइसेंस जारी किए हुए हैं। अन्निगेरी से गदग की दूरी करीब 18 किमी तथा हुब्बल्ली की दूरी करीब 30 किमी होने से अधिकांश व्यवसाय इन शहरों में करना चाहते हैं। यहां के प्रसिद्ध अमृतेश्वर मंदिर के दर्शन के लिए रोज भक्तगण आते हैं।
- वाई.जी.गड्डिगौदर, मुख्य अधिकारी, टाउन म्युनिसिपल कौंसिल, अन्निगेरी।
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