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कोरोना ने छीना बांस का सूपड़ा और टोकरी का व्यापार

locationहुबलीPublished: Jun 05, 2021 08:20:41 pm

Submitted by:

MAGAN DARMOLA

फुटपाथ पर व्यापार करने वालों का कोरोना के कारण लॉकडाउन होने से व्यापार बंद है। कई गरीब परिवारों के समक्ष तो आर्थिक संकट गहरा गया है। फुटपाथ पर बांस के सूपड़ा और टोकरियां बेचने वाली कळकव्वा ने कहा कि जब से यह कोरोना बीमारी फैली है तब से सूपड़ा व टोकरियों की बिक्री घट गई है।

कोरोना ने छीना बांस का सूपड़ा और टोकरी का व्यापार

कोरोना ने छीना बांस का सूपड़ा और टोकरी का व्यापार

इलकल (बागलकोट). कोरोना ने छोटे-बड़े हर तरह के उद्योग-व्यवसाय को प्रभावित किया है। फुटपाथ पर व्यापार करने वालों का कोरोना के कारण लॉकडाउन होने से व्यापार बंद है। कई गरीब परिवारों के समक्ष तो आर्थिक संकट गहरा गया है। फुटपाथ पर पिछले अनेक वर्षों से बांस के सूपड़ा जिनको मारवाड़ में छाछला कहते हैं और टोकरियां बेचने वाली कळकव्वा ने कहा कि जब से यह कोरोना बीमारी फैली है तब से सूपड़ा व टोकरियों की बिक्री घट गई है। जब त्योहार या शादी ब्याह का मौसम होता है तो टोकरियां और सूपड़ा बिकते हैं। उनके घर में इसी से हुई आमदनी से दो जून की रोटी का जुगाड़ होता है। कोरोना बीमारी के कारण से शादी ब्याह नहीं हो रहे हैं। गत वर्ष भी मार्च, अप्रैल, मई, जून महीने का समय लॉकडाउन में ही बिता और इस वर्ष भी जब शादी ब्याह का मौसम शुरू होने वाला ही था कि एक बार फिर से मार्च, अप्रैल, मई, जून महीने में लॉकडाउन लग गया और शादी ब्याह नहीं हो रहे हैं, जिस कारण से सूपड़ा व टोकरियों की बिक्री नहीं के बराबर है।

कळकव्वा ने कहा कि अब लोग पहले की तरह रोजमर्रा की जिंदगी में बांस की टोकरी का इस्तेमाल नहीं करते। पहले हर घर में फल फूल रखने और रोटी आदि रखने के लिए इसका इस्तेमाल होता था। खासकर शादी ब्याह के मौसम में ये ज्यादा बिकते हैं क्योंकि शादी में उपहार पैक करने व भात आदि के लिए टोकरियों का उपयोग किया जाता है। अभी भी ग्रामीण इलाकों में टोकरियों में ही रोटी रखते हैं। सूपड़ा शादी ब्याह में होम हवन के समय में भी काम में लिया जाता है।

कळकव्वा ने कहा कि उनके पति रामप्पा पहले बुनकर का काम करते थे और साड़ी बुनते थे परन्तु बुनकर उद्योग में मंदी आने से वह उद्योग छोड़कर अब हम दोनों मिलकर यह उद्योग कर रहे हैं। बाजार में हम दो तीन लोग ही टोकरी व सूपड़ा बेचते हैं। शहरों में इनका चलन आधुनिकता के चलते उपयोग कम हो गया है। परन्तु ग्रामीण लोग अभी भी टोकरियों का उपयोग करते हैं। जब सुबह के समय में फुटपाथ पर टोकरियां व सूपड़ा बेचने के लिए लगाते हैं तो लॉअडाउन रहने से प्रशासन वाले घर को भेज देते है। इस समय तो टोकरी व सूपड़ा बेचने वाले आर्थिक संकट में दिन गुजार रहे हैं। वे कोरोना को शाप देते हुए पहले जैसे दिन आने की प्रार्थना कर रहे हैं।

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