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धर्मवाणी श्रवण से पापों से मिलती है मुक्ति - नरेशमुनि

locationहुबलीPublished: Aug 03, 2023 06:59:10 pm

Submitted by:

S F Munshi

धर्मवाणी श्रवण से पापों से मिलती है मुक्ति - नरेशमुनि

धर्मवाणी श्रवण से पापों से मिलती है मुक्ति - नरेशमुनि
धर्मवाणी श्रवण से पापों से मिलती है मुक्ति - नरेशमुनि
धर्मवाणी श्रवण से पापों से मिलती है मुक्ति - नरेशमुनि
इलकल (बागलकोट).
श्री स्थानकवासी जैन समाज के युवाओं का दल चातुर्मास के लिए विराजित श्रमणसंघीय उपप्रर्वतक नरेशमुनि एवं शालिभद्रमुनि आदि ठाणा 2 के दर्शनार्थ सिंधनूर गया। युवाओं ने श्रध्दा और भक्ति भाव के साथ वंदना कर दर्शन कर आशीर्वाद का लाभ लिया।
युवाओं को संबोधित करते हुए उपप्रर्वतक नरेशमुनि ने कहा कि जिनवाणी पर श्रद्धा रखकर श्रवण करने से पापों से मुक्ति मिलती है। कर्मों की निर्जरा होती है। धर्मवाणी से पापी भी पुण्यवान बन जाता है। मानव अपने गृहस्थ जीवन में दिन भर के कार्यों से कहीं न कहीं मन, वचन, काया से कर्म बंधन करता रहता है। कर्मों की निर्जरा के लिए धर्म ध्यान, सत्संग जरूरी है। युवाओं को अपना कुछ समय धर्म आराधना की साधना में व्यतित करना चाहिए। धर्मवाणी श्रवण से अंगुलीमाल डाकू भी साधु बन गया। अर्जुनमाली जैसा हत्यारा धर्मवाणी के प्रभाव से तपस्वी बनकर अपनी आत्मा का कल्याण कर लेता है। चंडकौशिक सर्प भयंकर विषधारी था। प्रभु वचन श्रवण कर क्षमाधारी बन सर्प जीवन पूर्ण कर देव बन गया।
भगवान महावीर ने जीवन उत्थान के लिए सरल एवं उपयुक्त मार्ग बताया है। उनके बताए हुए मार्ग पर चलने से ही आत्मा का कल्याण संभव बनेगा। मानव का मन बड़ा चंचल है। पल में कहीं से कहीं पहुंच जाता है। मन, वचन और काया पर नियंत्रण रखना जरूरी है और वह धर्म आराधना, स्वाध्याय, सत्संग करने पर आता है। वाणी में मधुरता और मिठास होनी चाहिए। सभी सुख चाहते हैं और मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं। इसके लिए धर्म साधना का पुरूषार्थ करना होगा।
संत शालिभद्रमुनि ने युवाओं को प्रतिदिन स्थानक भवन में जाकर सामायिक, स्वाध्याय करने की प्रेरणा दी। व्यसनों से परहेज़ रखते हुए सात्विक जीवन जीने का महत्व बताया। युवाओं ने संतों से हाथ जोड़कर विनंती करते हुए कहा कि चातुर्मास पुर्ण होने के बाद में इलकल पधारने का भाव रखें।
श्रीसंघ, सिंधनूर के प्रशासनिक अध्यक्ष गौतमचंद बम्ब एवं अन्य श्रावकों ने युवाओं का स्वागत किया। गौतमचंद बम्ब ने कहा कि युवा पीढ़ी का साधु-संतों के प्रति श्रद्धा व भक्ति भाव देखकर संतोष हुआ है। युवाओं को धर्म से जुडऩे से ही संस्कारों का आत्मसात होगा। गुरू भगवंतों से ही हमें ज्ञान रूपी प्रकाश मिलने से अज्ञान रूपी अंधकार दूर होता है।
युवाओं ने शाम का प्रतिक्रमण सिंधनूर में ही किया और सभी से क्षमायाचना की। संतों के मुखारविंद से मंगलपाठ श्रवण किया।
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