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राज्य में बढ़ रहे बाल विवाह के मामले

locationहुबलीPublished: Feb 26, 2020 08:54:18 pm

Submitted by:

Zakir Pattankudi

राज्य में बढ़ रहे बाल विवाह के मामले-मंड्या जिला अव्वलहुब्बल्ली

राज्य में बढ़ रहे बाल विवाह के मामले

राज्य में बढ़ रहे बाल विवाह के मामले

कोर कमेटी की सिफारिश

बाल विवाहों पर प्रभावी तौर पर रोकथाम के लिए ग्राम, तालुक, जिला व राज्य स्तर पर समितियां गठित की गई हैं। ग्राम पंचायतों में स्थित समिति दो माह में एक बार, तालुक तथा जिला स्तर की समिति तीन माह में एक बार तथा राज्य स्तर की समिति की छह माह में एक बार बैठक करने की कोर कमेटी की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है।

259 बालविवाह रोके

कल्याण कर्नाटक के कोप्पल जिले में अप्रेल से दिसंबर 2019 तक केवल नौ माह में 259 बाल विवाहों को विभाग के अधिकारियों, 1098 चाइल्डलाइन समेत विभिन्न एनजीओ ने रोका है। आश्चर्य की बात है कि यहां अन्य सभी जिलों से अधिक संख्या में बालविवाहों को रोका गया है।

महिलाएं भी सजा के योग्य

बाल विवाह निषेध (कर्नाटक संशोधन) अधिनियम 2016 के अनुसार हर विवाह प्रारम्भ में ही अयोग्य होता है। हर एक पुलिस अधिकारी को अपने अधिकार क्षेत्र में हुए अपराध की संज्ञा को देखकर इस अधिनियम के तहत स्वयं कार्रवाई करनी चाहिए। इस कानून के तहत महिलाएं भी जेल की सजा के योग्य होती हैं। नवंबर 2011 में महिला, बाल विकास निदेशालय के तहत बाल विवाह निषेध प्रभारी कोष स्थापित किया गया है।

बेलगावी में अधिक रोका

महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री शशिकला जोल्ले के अपने जिला बेलगावी में पिछले पांच वर्षों में 576 बाल विवाह रोके गए वहीं 26 बाल विवाह हुए हैं। चार जनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है। राज्य के 30 जिलों की तुलना में बेलगावी में सर्वाधिक विवाहों को रोका गया है। बाल विवाह रोकने में कल्याण कर्नाटक के कोप्पल तथा कलबुर्गी दूसरे तथा तीसरे स्थान पर है।

मंड्या जिले में 74 बाल विवाह

महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी, 1098 चाइल्डलाइन, पुलिस विभाग समेत राज्य में 2015-16 से दिसंबर 2019 तक कुल 5,860 बाल विवाहों को रोका है। इसमें 1,799 विवाहों को कल्याण कर्नाटक में रोका गया है। पांच वर्षों में अकेले मंड्या जिला ही 74 बाल विवाह हुए हैं, और प्रथम स्थान पर है। उडुपी में चार, दक्षिण कन्नड़ में तीन बाल विवाह हुए हैं, जो आखिरी स्थान पर है।

तीन मामलों में सजा

कोप्पल जिले में 2012-13 में हुए बाल विवाह मामलों में वर को दो वर्ष की जेल व 30 हजार रुपए जुर्माना लगाया है। बालिका की मां तथा मौसी को भी दो वर्ष की जेल, दस दस हजार रुपए जुर्माना लगाया है। कोप्पल जिले में 2013-14 में हुए मामले में नाबालिग बालक तथा बालिका के अभिभावकों को दो-दो वर्ष की जेल तथा दस दस हजार रुपए जुर्माना लगाया है। चिक्कबल्लापुर जिले में वर्ष 2015-16 में मामले में अभिभावकों को 45 हजार रुपए जुर्माना लगाया है।

इनका कहना है

बाल विवाह के खिलाफ ग्राम स्तर पर समिति गठित कर जागरूकता पहुंचाई जा रही है। कोप्पल में हुए बाल विवाह मामलों में अभिभावकों का सजा दी गई है।
शशिकला जोल्ले, मंत्री, महिला एवं बाल विकास

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