सृष्टि की सुंदर कृति है बचपन
सृष्टि की सुंदर कृति है बचपन
सृष्टि की सुंदर कृति है बचपन
सृष्टि की सुंदर कृति है बचपन
-ज्ञानशाला का समापन
गदग
तेरापंथ भवन में जैन साध्वी पद्मावती के सान्निध्य में दो दिवसीय ज्ञानशाला का आयोजन किया गया।
साध्वी पद्मावती ने कहा कि फूल और बच्चे सृष्टि की सुंदरतम कृति हैं। बच्चों का सुधार भविष्य का सुधार हैं। शुभ भविष्य चाहते हैं तो ज्ञानशाला आवश्यक है। आचार्य तुलसी का यह अवदान जीवन निर्माण व विकास का अच्छा उपाय है। यह संस्कारों की विटामिन है। शिविरों से नई जागृति पैदा होती हैं।
साध्वी डॉ. गवेषणा ने कहा कि बच्चों के जीवन पर उपदेश का जितना प्रभाव नहीं पड़ता उतना आपके आचरण का पड़ता है । बच्चे बड़ों की कार्बन कॉपी करने वाले होते हैं। संस्कारों का प्रथम ओज आहार हर बच्चे को अपने माता पिता से ही प्राप्त होता है।
साध्वी मयंक प्रभा ने कहा कि ध्वंस और निर्माण इन दो शब्दों से सभी परिचित हैं। ध्वंस सरल लेकिन निर्माण कठिन है। साध्वी मेरुप्रभा ने गीतिका प्रस्तुत की।
कार्यक्रम की शुरुआत ज्ञानशाला के बच्चे अर्हम अर्हम की वंदना फले” स्वरों के साथ हुई। स्वागत भाषण ज्ञानशाला की मुख्य प्रशिक्षिका शोभा संकलेचा ने दिया। सभा के अध्यक्ष अमृतलाल कोठारी व उपासक विमला कोठारी ने विचारों की अभिव्यक्ति दी।
मंच का संचालन सुरेश कोठारी ने किया। समारोह में प्रशिक्षिका विमला कोठारी, सरस्वती कोठारी मुख्य प्रशिक्षिका शोभा संकलेचा, सारिका संकलेचा, विजेता भंसाली व संतोष जीरावला ने सहभागिता की दर्ज की।
संस्था के सह मंत्री प्रकाश लोढ़ा, उत्तर कर्नाटक प्रभारी कमल छाजेड़, कार्यकारिणी सदस्य तेजराज चोपड़ा व रमेश चोपड़ा का स्वागत तिलक से ज्ञानशाला की कन्याओं ने किया।
श्री प्रकाश लोढ़ा ने ज्ञानशाला व गदग तेरापंथ सभा की गतिविधियों की जानकारी दी। तेजराज चोपड़ा, रमेश चोपड़ा, उत्तर कर्नाटक की ज्ञानशाला सह प्रभारी कमला पालगोता ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में कर्नाटक अंगूर रस एवम अंगूर बोर्ड के अध्यक्ष कांतिलाल भंसाली भी उपस्थित रहे। शाम के कार्यक्रम का संयोजन प्रशिक्षिका सारिका संकलेचा ने किया।
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