चिक्कोड़ी लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस के पांच तथा भाजपा के तीन विधायक है। जब प्रियंका के नाम की घोषणा की गई थी तब ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि कांग्रेस में विरोध के स्वर उठेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मंत्री सतीश जारकीहोली ने अपने संगठनात्मक कौशल से स्थिति को नियंत्रण में कर लिया। निपानी में पूर्व विधायक सुभाष जोशी एवं एनसीपी नेता उत्तम पाटिल भी कांग्रेस का समर्थन करते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस भी यहां एकजुटता के साथ प्रचार करती नजर आ रही है। भाजपा के विधानसभा चुनाव की उम्मीदवारी से इन्कार किए जाने के बाद कांग्रेस में शामिल होने वाले लक्ष्मण सवदी समेत कई अन्य नेता भी कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में लगातार प्रचार में आगे हैं। खुद जारकीहोली ने प्रचार की कमान संभाल रखी है। प्रियंका जहां रैलियों एवं सभाओं में कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों एवं अपने पिता के विकास कार्यों को गिना रही है। ग्रामीण मतदाताओं को कर्नाटक की कांग्रेस सरकार की गारंटी योजनाओं को बारीकी से बता रही है। वे महिलाओं को उनके जीवन स्तर में आ रहे बदलाव को इंगित कर रही है। उधर भाजपा उम्मीदवार जोले अपनी पत्नी एवं भाजपा विधायक शशिकला जोले सहित पार्टी कार्यकर्ताओं के दम पर प्रचार में जान फूंकने में लगे हैं। शशिकला भी पूरे जोश-खरोश के साथ प्रचार में जुटी है। हालांकि कई इलाकों में भाजपा कार्यकताओं के नाराजगी की बात भी सामने आ रही हैं। ऐसे में कुछ कार्यकर्ता अभी भी प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं।
प्रचार में झोंक रहे ताकत
भाजपा के राज्य चुनाव प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल ने हाल ही में चिक्कोड़ी की अपनी यात्रा के दौरान पार्टी नेताओं के जोले के अभियान से दूर रहने से इनकार किया और कहा कि विधायक निहकिल कट्टी सहित सभी जोले के लिए वोट मांग रहे हैं। फिर भी जमीनी हकीकत ऐसी नहीं लगती। 2019 के चुनाव में जोले को अथनी विधानसभा क्षेत्र में करीब एक लाख वोटों की बढ़त मिली थी लेकिन सवदी का अब कांग्रेस के साथ होना जोले के लिए झटका हो सकता है। इस बीच 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अथनी, कागवाड और कुडुची विधानसभा क्षेत्रों को कांग्रेस के हाथों खो दिया और इससे जोले की संभावनाओं पर और असर पड़ सकता है। जोले की उम्मीद रायबाग में है जहां भाजपा के विधायक दुर्योधन हैं और कांग्रेस को निर्दलीय उम्मीदवार शंभू कल्लोलिकर के रूप में विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस ने कल्लोलिकर को विधानसभा चुनाव की उम्मीदवारी से इनकार कर दिया था, लेकिन वह दूसरे स्थान पर रहे थे। अब वह लोकसभा चुनाव मैदान में उतर गए हैं और उम्मीद है कि वे रायबाग और आसपास के विधानसभा क्षेत्रों में कुछ हद तक कांग्रेस के वोट शेयर में सेंध लगा सकते हैं।