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संविधान केवल एक पुस्तक नहीं एक शक्ति है

locationहुबलीPublished: Dec 01, 2020 06:58:36 pm

Submitted by:

S F Munshi

संविधान केवल एक पुस्तक नहीं एक शक्ति है

संविधान केवल एक पुस्तक नहीं एक शक्ति है

संविधान केवल एक पुस्तक नहीं एक शक्ति है

संविधान केवल एक पुस्तक नहीं एक शक्ति है
-साहित्यकार चक्रवर्ती सूलिबेले ने कहा
हुब्बल्ली-धारवाड़
साहित्यकार चक्रवर्ती सूलिबेले ने कहा है कि डॉ. बाबासाहेब अंबेड्कर ने देश को दिया गया संविधान केवल पुस्तक नहीं है बल्कि वह एक महान शक्ति है। वे धारवाड़ के रंगायण के समुच्चय सभा भवन में आयोजित संविधान समर्पण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेड्कर ने स्वयं ने जो भी मुश्किलों का सामना किया है उनको आगामी पीढी भी सामना ना करें इस बात को ध्यान में रखते हुए संविधान की रचना की है। उन्होंने हर व्यक्ति को अध्ययनशील होने को कहा है। अध्ययन से एक शक्ति मिलती है। कमाया हुआ पैसा शक्ति नहीं देता। डॉ. अंबेड्कर ने प्रति दिन नए विचारों पर जोर देते थे।
डॉ. अंबेड्कर के विचारों को छुपाया गया
सूलिबेले ने कहा कि बाबासाहेब के विचारों को बताने से ज्यादा छुपाए गए हैं। इस देश का केन्द्र बिंदु संविधान ही है। उसके चौतरफा हम लोगों ने अपना जीवन गुजार रहे हैं। डॉ. अंबेड्कर के विचारों को सभी को अध्ययन करना चाहिए। अध्ययन करने पर वे हमारे सामने हिमालय पर्वत की तरहा खडे होते हैं। तुरंत हमें कोई नतीजा नहीं मिलता। वह नतीजा हमारी आगामी पीढी को मिलता है। अंबेड्कर के समय में उनका महत्व उस दौर के लोगों को नहीं पता था। आज हम सभी डॉ. अंबेड्कर का सम्मान करते हैं। भविष्य में भी उनका सम्मेलन अधिक होता जाएगा।
उन्होंने कहा कि धारवाड़ रंगायण नाटक को बढ़ावा देने के लिए कई दशकों से कार्यरत है। कुल 15 कलाकारों का चयन कर 3 साल तक उन्हें प्रशिक्षण देकर समाज को परिचित करने का कार्य किया जा रहा है। अलग अलग अभिव्यक्ति का माध्यम नाटक क्षेत्र है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रंगायण के निदेशक रमेश परविनायकर ने कहा कि विभिन्न अनिष्ठ पद्दतियों को समाज के दायरे से बाहर करना चाहिए। संविधान के रचेता डॉ. बाबासाहेब अंबेड्कर के सपने साकार होने का समय आएगा। डॉ. अंबेड्कर के विभिन्न उद्देश्य योजनाओं को रंगायण में लागू किए गए हैं। धारवाड़ रंगायण क्षेत्र के 7 जिलों में नाटक का मंचन किया जाएगा। डॉ. अंबेड्कर के तत्वसिद्धांतों को अपनाकर आगे बढना चाहिए।
सेवा निवृत शिक्षक के.एच. नायक ने सभी को संविधान के पालन करने की शपथ दिलाई। वरिष्ठ साहित्यकार बाळण्णा शीगिहल्ली ने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर कार्यक्रम में रंगसमाज के सदस्य सिद्धराम हिप्परगी, धारवाड़ उप विभागीय अधिकारी एवं रंगायण के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. बी. गोपालकृष्ण, शशिधर नरेंद्र, लक्ष्मण बक्काई, रंगायण प्रशिक्षण कलाकार आदि मौजूद थे। मार्तांडप्पा कत्ती ने कार्यक्रम का संचालन किया।
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