किसी मित्र या सगे संबंधी के जा नहीं सकते और न उनको बुला सकते हैं। कोरोना ने ऐसा जुल्म ढाया है कि आदमी से आदमी मिलने से डर रहा है। बुजुर्गों को तो बिल्कुल ही बाहर नहीं निकलने की बात कही गई है।अब एकान्त में रहने से विभिन्न प्रकार के विचार दिमाग में घूमते रहते हैं और बुजुर्ग तनाव में आ जाते हैं।
इलकल के वरिष्ठ कर सलाहकार व अधिवक्ता केशव कंदीकोण्ड ने बताया कि जब से लॉकडाउन लगा है तब से वे घर पर ही हैं और आफिस बंद हैं। पेपर, पुस्तक पढ़कर समय बिताता हूं। परिवार के सभी सदस्य साथ में रहते हुए समय बिताते हैं। यहां की शिक्षण संस्था एसीओ, श्री विजय महांतेश विद्यावर्धक संघ, इलकल सहकारी बैंक का निदेशक सदस्य होने के नाते बैठक में जाना पड़ता है परन्तु पूरी सावधानी बरती जाती है। सप्ताह में दो-तीन बार अपने बाल मित्रों से बातचीत करने से मन को सुकून मिलता है।
सेवानिवृत्त शिक्षक बालकृष्ण गजेन्द्रगढ़ ने बताया कि उन्होंने इस खाली समय में अनेक विषयों को लेकर लेख लिखे हैं। सवा वर्ष से छात्र छात्राओं से संपर्क नहीं है। हर रोज मित्रों से फोन पर बात करने पर मन समाधान रहता है।
जाने माने वरिष्ठ कर सलाहकार विजयकुमार हन्चाटे ने बताया कि उनके चार बेटे हैं। जिनमें एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश है। मुझे पढऩे व लिखने का शौक रहने के साथ ज्योतिष में भी रुचि रखता हूं। दिन रात घर में ही रहने से एक तरह से अटपटा सा महसूस होता है। ये कैसे दिन आ गए कि हम किसी के घर जा नहीं सकते और कोई हमारे यहां आ नहीं सकता। आदमी से आदमी के डरने की स्थिति निर्माण हो गई है।
वाणिज्य संस्था के अध्यक्ष व कपड़े के उद्यमी सुभाषचन्द्र कटारिया ने बताया कि लॉकडाउन के कारण दुकान बंद होने से घर पर समय बिताना मुश्किल हो रहा है। सुबह व्यायाम, योग आदि करने के बाद में धर्म ध्यान करता हूं। पढऩे का शौक रहने से उपन्यास व दूसरे विषयों की पुस्तकें पढ़ता हूं। शाम को बगीचे में टहलने जाता हूं और दो ढाई घंटे वहीं रहता हूं। दुकान बंद होने के कारण से समय बिताना मुश्किल हो रहा है।