नोकरी करने वाले लोगों को रेल का अब भी रेड सिग्नल
-कई लोगों का आर्थिक नुकसान के साथ बुरा हाल
कोल्हापुर
हर दिन लाखों की संख्या के लोगों की जीवनवाहिनी होने वाली पॅसेंजर गाडी छोडने के बारे में रेल प्रशासन की ओर से रेड सिग्नल देने के चलते कई लोगों का आर्थिक नुकसान होने के साथ बुरा हाल हो रहा है।
हर दिन कोल्हापुर, सांगली, मिरज, पंढरपुर, बेलगावी, कराड सातारा से पुणे तक जाने वाले लाखों नौकरीपेशा,व्यवसायियों को अब सिर्फ यात्रा के लिए और कोई साधन नहीं होने से और यात्रा महंगी होने से बुरा हाल हो रहा है। लाखों की संख्या में लोगों की मूलभूत समस्या के साथ रेल प्रशासन बुरा बर्ताव करते हुए भी कोल्हापुर, सांगली, सातारा, सोलापुर और कर्नाटक के नेता भी आराम फरमा रहे हैं। सस्ती और सुरक्षित होने वाली रेल शुरू नहीं होने से लोगों को अब एसटी और निजी वाहन से यात्रा करने के अलावा और कोई चारा नहीं है।
यात्री संगठनों ने चुप्पी साधी
रेल यात्री संगठनों की संख्या बडे पैमाने पर है। इसमें से चुनिंदा संगठन और उनके पदाधिकारियों ने रेल की सुविधा, समयसारिणी के बारे में जानकारी ली है लेकिन पॅसेंजर गाडी शुरू करने के बारे में उनकी ओर से कोई विशेष कोशिश नहीं हुई। साथ ही में रेल अधिकारियों ने भी किस तरह का प्रतिसाद नहीं दिया है। यही यात्री संगठनों का लोक प्रतिनिधियों के साथ समन्वय नहीं होने से मांगों की बारे में चर्चा भी नहीं हुई है।
जरूरी ट्रेनें
कोल्हापुर, पुणे, पंढरपुर, परली, बेलगाव, हुबली, कॅसलरॉक इन मार्गों पर की सभी पॅसेंजर ट्रेनें। यात्रियों की अंदाजन संख्या लगभग 70 से 80 हजार। पॅसेंजर ट्रेन के प्रमुख लाभार्थी निजी नौकरदार, किरकोल व्यापारी, किसान, सब्जी विक्रेता, छात्र, छोटे व्यावसायिकों के साथ मिरज को उपचार के लिए जाने वाले मरीज।
प्रयास जारी
कोल्हापुर से सातारा तक के मार्ग पर हरदिन यात्रा करने वाले लगभग 10 से 12 हजार लोगों की संख्या है। जबकि इसके लिए राज्य सरकार ध्यान नहीं दे रहा है और केंद्र सरकार को कुछ पडी नहीं है। ऐसे कुछ हालात हैं। जबकि पॅसेंजर ट्रेनें शुरू नहीं होने से लोगों का खर्चा बढने के साथ समस्या का सामना करना पड रहा है।
-शिवनाथ बियाणी,
सदस्य महाराष्ट्र रेल पॅसेंजर एसोसिएशन
-कई लोगों का आर्थिक नुकसान के साथ बुरा हाल
कोल्हापुर
हर दिन लाखों की संख्या के लोगों की जीवनवाहिनी होने वाली पॅसेंजर गाडी छोडने के बारे में रेल प्रशासन की ओर से रेड सिग्नल देने के चलते कई लोगों का आर्थिक नुकसान होने के साथ बुरा हाल हो रहा है।
हर दिन कोल्हापुर, सांगली, मिरज, पंढरपुर, बेलगावी, कराड सातारा से पुणे तक जाने वाले लाखों नौकरीपेशा,व्यवसायियों को अब सिर्फ यात्रा के लिए और कोई साधन नहीं होने से और यात्रा महंगी होने से बुरा हाल हो रहा है। लाखों की संख्या में लोगों की मूलभूत समस्या के साथ रेल प्रशासन बुरा बर्ताव करते हुए भी कोल्हापुर, सांगली, सातारा, सोलापुर और कर्नाटक के नेता भी आराम फरमा रहे हैं। सस्ती और सुरक्षित होने वाली रेल शुरू नहीं होने से लोगों को अब एसटी और निजी वाहन से यात्रा करने के अलावा और कोई चारा नहीं है।
यात्री संगठनों ने चुप्पी साधी
रेल यात्री संगठनों की संख्या बडे पैमाने पर है। इसमें से चुनिंदा संगठन और उनके पदाधिकारियों ने रेल की सुविधा, समयसारिणी के बारे में जानकारी ली है लेकिन पॅसेंजर गाडी शुरू करने के बारे में उनकी ओर से कोई विशेष कोशिश नहीं हुई। साथ ही में रेल अधिकारियों ने भी किस तरह का प्रतिसाद नहीं दिया है। यही यात्री संगठनों का लोक प्रतिनिधियों के साथ समन्वय नहीं होने से मांगों की बारे में चर्चा भी नहीं हुई है।
जरूरी ट्रेनें
कोल्हापुर, पुणे, पंढरपुर, परली, बेलगाव, हुबली, कॅसलरॉक इन मार्गों पर की सभी पॅसेंजर ट्रेनें। यात्रियों की अंदाजन संख्या लगभग 70 से 80 हजार। पॅसेंजर ट्रेन के प्रमुख लाभार्थी निजी नौकरदार, किरकोल व्यापारी, किसान, सब्जी विक्रेता, छात्र, छोटे व्यावसायिकों के साथ मिरज को उपचार के लिए जाने वाले मरीज।
प्रयास जारी
कोल्हापुर से सातारा तक के मार्ग पर हरदिन यात्रा करने वाले लगभग 10 से 12 हजार लोगों की संख्या है। जबकि इसके लिए राज्य सरकार ध्यान नहीं दे रहा है और केंद्र सरकार को कुछ पडी नहीं है। ऐसे कुछ हालात हैं। जबकि पॅसेंजर ट्रेनें शुरू नहीं होने से लोगों का खर्चा बढने के साथ समस्या का सामना करना पड रहा है।
-शिवनाथ बियाणी,
सदस्य महाराष्ट्र रेल पॅसेंजर एसोसिएशन