दीक्षा समारोह को लेकर धर्मावलंबियों में उत्साह[typography_font:18pt;” >धारवाड़श्री शीतलनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ में ८० साल बाद दीक्षा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। संयम महोत्सव के चौथे दिन शुक्रवार प्रात: प्रभातिया के साथ कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ। इसके बाद सामूहिक चैत्यवंदन एवं भक्तामर का पाठ हुआ। इस मौके पर ऐतिहासिक वर्षीदान वरघोड़ा (जुलूस) निकला जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। दीक्षार्थी मुमुक्षु अनिरुद्ध कुमार खुले हाथों से वरघोड़े के दौरान रुपया/पैसा दान कर रहे थे। वरघोड़े के बाद हुए प्रवचन में निजानंदी आचार्य महेन्द्रसागरसूरि ने कहा कि जिस प्रकार चन्द्र की सोलह कलाएं होती हैं, वैसे ही ज्ञानरूपी चंद्र की अनेक कलाएं है, परंतु वैराग्य कला के शिवा की कलाएं तो हर कोई जा सकता है। उसमें कोई महानता नहीं अपितु जो आत्मा वैराग्य कला को धारण करती है वह धन्य है, क्योंकि वैराग्य कला ही संसार को खत्म कर देने की शक्ति रखती है। इसके अतिरिक्त कई अन्य धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए।