क्षेत्रों के अंतर्गत फसलों की किस्मों को विकसित करें-सहायक महा निदेशक डॉ. आर.के. सिंह ने कहा[typography_font:14pt;” >धारवाड़-हुब्बल्लीनई दिल्ली के कृषि विश्वविद्यालय एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वाणिज्य फसल विभाग के सहायक महा निदेशक डॉ. आर.के. सिंह ने कहा है कि क्षेत्रों के अंतर्गत फसलों की किस्मों को विकसित कर सकते हैं। वे, धारवाड़ के कृषि विश्वविद्यालय में नई दिल्ली के कृषि विश्वविद्यालय एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा गन्ना अनुसंधान समन्वय योजना, गन्ना फसल अनुसंधान केन्द्र लखनाऊ के संयुक्त तत्वावधान में गन्ने की फसल पर आयोजित तीन दिवसीय वार्षिक कार्यशाला के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में गन्ना प्रमुख वाणिज्य फसल है। विभिन्न कारणों से गन्ने की पैदावार दिन ब दिन घटती जा रही है। किसानों को मौसम आधारित गन्ने की फसल के विभिन्न किस्मों को विकसित करने से आर्थिक खर्च कम हो जाएगा। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। लखनउ के भारतीय गन्ना फसल अनुसंधान संस्था के निदेशक एवं गन्ना फसल योजना संयोजक डॉ. ए.डी. फाटक ने कहा कि इस वर्ष अखिल भारतीय अनुसंधान योजना के तहत चार उत्तम गन्ने के किस्मों को जारी करने की अनुमति दी गई है। धारवाड़ कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. पी.एल. पाटील ने कहा कि किसान मिट्टी में कार्बन की मात्रा के बारे में ध्यान देंगे तो कई समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। कार्यशाला में लिए गए प्रमुख निर्णय एवं सलाहों से संबंधित फसलों की किस्मों को विकास विभाग की ओर से कोयंबतुर गन्ना किस्म विकास संस्था के निदेशक डॉ. भक्षिराम, गन्ना कृषि विभाग की ओर से डॉ. टी.के. श्रीवात्सवा, गन्ना पौधा रोग विभाग की ओर से डॉ. आर. विश्वनाथन एवं गन्ना कीट प्रबंधन विभाग की ओर से डॉ. एम.आर. सिंह ने विचार व्यक्त किए। कार्यशाला के अंत में उत्तम उपलब्धी हासिल करने वाले देश के नौ गन्ना अनुसंधान केन्द्रों को प्रशंसा पत्र एवं पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया। धारवाड़ कृषि विश्वविद्यालय के संकेश्वर गन्ना अनुसंधान केन्द्र को पुरस्कार प्रदान किया गया। डॉ. संजय पाटील ने अतिथियों का स्वागत किया। डॉ. ए.डी. फाटक ने आभार व्यक्त किया।