कोरोना के कारण पिछले दो वर्षों से सादगी से राज्योत्सव मनाया गया। इस बार महानगर निगम में राष्ट्रीय पार्टी ने बहुमत हासिल किया है। महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) का सफाया करने का कन्नडिग़ाओं का कई दशकों का सपना साकार हुआ है। इसके चलते राज्योत्सव को विजयोत्सव के तौर पर मनाने के उत्साह में कन्नडिग़ा हैं परन्तु विशाल शोभायात्रा को मौका देने के लिए राज्य सरकार कतरा रही है। पहली बार राज्योत्सव मनाने के लिए कन्नड़िगाओं को प्रदर्शन करने के हालात निर्माण हुए हैं।
उत्सव से जुड़ा है कईयों को रोजगार
बेलगावी में होने वाले राज्योत्सव में 80 से 100 झांकियां भाग लेती हैं। अनेक कलाकारों के दल जुलूस में चलते हैं। एक एक झांकी के लिए 10 से 20 हजार रुपए खर्च किए जाते हैं। अनेक श्रमिकों का कार्य इसमें रहता है। राज्योत्सव के लिए ही विशेष गीत तैयार होते हैं। दूर दराज के गांवों से लोग बेलगावी शहर को आते हैं। परिवहन गतिविधियां भी तेज होती हैं। वहीं जिले भर में स्थित युवकों के दल कन्नड़ के विशेष लेख वाले टी-शर्ट बनवाते हैं। राज्योत्सव के लिए विशेष परिधान तैयार करवाते हैं। कन्नड़ ध्वज से मेल खाने वाले शाल की भरपुर बिक्री होती है। दो वर्षों से टी-शर्ट लिखने कार्य नहीं होने से संकट में फंसे सैकड़ों कलाकारों की के रोजगार का सपना इस राज्योत्सव में छिपा है।
बढ़ जाती हैं व्यापारिक गतिविधियां
राज्योत्सव के पूरे दिन बेलगावी शहर के चन्नम्मा सर्कल के आसपास के इलाके के होटल, चाय की दुकानों में दिनभर व्यापार चलता है। पेंडाल, लाउड स्पीकर, फूलों का अलंकार, लाइटिंग, पेयजल व्यापार, खिलौनी, अलंकारिक वस्तुओं का व्यापार, मीठाई, नए वस्त्र इस प्रकार सभी प्रकार के व्यापार गतिविधियां जोर रहती हैं। राज्योत्सव यहां केवल उत्सव नहीं रहता। हर घर में त्योहार के तौर पर मनाया जाता है। अनेक जगहों पर घरों में मीठे व्यंजन तैयार होते हैं। श्रमिकों को भी भरपूर कार्य मिलता है। राज्योत्सव के एक सप्ताह की अवधि में अकेले बेलगावी शहर में ही लाखों रुपए का कारोबार होता है। राज्योत्सव इस क्षेत्र की अस्मिता के साथ आर्थिक सुधार का कारण भी है।