विद्यालय के परिवेश में हर साल बच्चे पौधरोपण करने के साथ-साथ उनकी रक्षा करने की जिम्मेदारी भी उठाते हैं। शिक्षकों व प्रशासन बोर्ड के सहयोग से पाइपलाइन तथा गर्मियों के दिनों में बूंद-बूंद सिंचाई की व्यवस्था की गई है। विद्यालय का परिवेश हरा-भरा दिखता है। वर्ष 1879 में निर्मित विद्यालय का इतिहास 142 साल पुराना है। हालांकि विद्यालय सौ साल से अधिक पुराना है परंतु शताब्दी उत्सव अभी तक मनाने का सौभाग्य प्रशासन को प्राप्त नहीं हुआ है।
मध्यान्हकालीन रसोई के लिए आवश्यक सब्जी विद्यालय में ही उगाई जाती हैं। स्कूल के परिवेश में कदम रखते ही ऐसा आभास होता है मानो किसी विख्यात उपवन में पहुंचे हों।
सुबह शाम पंछियों की चहचहाहट से विद्यालय की सुंदरता बढ़ी है। कोरोना संक्रमण की वजह से भले ही अनुदान में कमी आई हो परंतु विद्यालय के प्रांगण में निर्मित उपवन की रक्षा करने में प्रबंधन कोई कसर नहीं छोड़ रही है। ग्रामीण लोग भी यथा संभव मदद देकर बच्चों में जागरूकता फैलाने की दिशा में हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
पहली से सातवीं कक्षा तक के 345 विद्यार्थी
वर्तमान में इस विद्यालय में पहली कक्षा से सातवीं तक कक्षाएं चलाई जा रही हैं। पूरे विद्यालय में 345 विद्यार्थी पढ़ते हैं। इस विद्यालय में 6 शिक्षक हैं। प्रमुख शिक्षक एस एस हुल्लल्ली के अनुसार विद्यालय में स्मार्ट क्लास की व्यवस्था है इतना ही नहीं यहां एक ग्रंथालय भी है। प्रमुख शिक्षक के मार्गदर्शन में विद्यालय के प्रांगण में सौ से अधिक पेड़ों की रक्षा की जा रही है।