हुबली

बिचौलियों की वजह से कई समस्याओं से जूझ रहे हैं मछुआरे

बिचौलियों की वजह से कई समस्याओं से जूझ रहे हैं मछुआरे

हुबलीDec 30, 2020 / 11:14 pm

S F Munshi

बिचौलियों की वजह से कई समस्याओं से जूझ रहे हैं मछुआरे

बिचौलियों की वजह से कई समस्याओं से जूझ रहे हैं मछुआरे
-सुसज्जित मछली मंडी का अभाव
चिक्कमगलूरु
कॉफी क्षेत्र कहलाए जाने वाले मंगलूरु में सुसज्जित मछली मंडी न होने व बिचौलियों की वजह से मछुआरों को कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। मत्स्य पालन को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। जिले में 9 हजार से अधिक लोगों का जीवन मत्स्य पालन पर निर्भर है। जलाशय, तालाब, नहर, चेकडैम, कृषि तालाब जैसे जलस्रोत पर मछुआरों का उद्योग निर्भर है।
मत्स्य पालन के लिए तालब की नीलामी प्रक्रिया मामले में ग्राम पंचायत में राजनीति चल रही है। सबसे अधिक मांग कट्टा नस्ल की मछलियों की है परंतु ग्राम पंचायत की ओर से पर्याप्त मात्रा में कट्टा नस्ल की मछलियां उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है। दलाल कम मूल्य पर मछली खरीद कर बाहरी राज्य में बेचकर मुनाफा कमाते हैं। यहां व्यवस्थित मंडी न होने की वजह से मछुआरों को कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। लॉकडाउन की इस संकट की घड़ी में सरकार की ओर से मदद न दिए जाने की वजह से मछुआरों को कई समस्याओं को जूझना पड़ रहा है। गौरी, कट्टा, रोहू, मृगाल, बेल्ली, नस्ल की मछली का पालन कर रहे हैं। कॉफी क्षेत्र में नहर की मछलियों की मांग है।
चिक्कमगलूरु, तकरीकेरे, कडूरु तालुक में 7 मत्स्य पालन सहकारी निगम हैं। इस निगम से 4 हजार 265 सदस्य जुड़े हैं। एन.आर. पुर, मूडिगेरे, श्रृंगेरी, कोप्पग में मत्स्य पालन गतिविधियां चलती है यहां 7 तालुक स्तरीय मत्स्य पालन केंद्र हैं। इस केंद्र में 27 लाख से अधिक मछलियों का पालन कर मछलियों का पालन पोषण करने वालों को वितरित किया जा रहा है। मछुआरे चाहते हैं कि तालाब, कुंड से गाद निकालकर मतस्य पालन करने वाले मछुआरों को सुविधा मुहैया करवाएं। मछुआरों को मत्स्य पालन से संबंधित प्रशिक्षण मुहैया करवाने की आवश्यकता है।
10 हजार रुपए की दी जा रही है मदद
जिले के एनआर पुर में सुसज्जित मछली बाजार का निर्माण चल रहा है। प्रधान मंत्री मत्स्य संघ योजना के तहत मछुआरे लाभ प्राप्त कर सकते हैं। मत्स्य पालन इकाई, मत्स्य हैचरी केंद्रों की स्थापना करने तथा मत्स्य कृषि तालाब निर्माण के लिए मदद दी जाएगी। मत्स्य पालन विभाग की ओर से जिले कई मछुआरों को जाल, बेड़े, दुपहिया वाहन के लिए 10 हजार रुपए की मदद दी जा रही है।
-गुरुचन्ना बसवण्णा, वरिष्ठ सहायक निदेशक, मत्स्य विभाग
समस्याओं से जूझना पड़ रहा है
जिले में मछली पकडऩे के लिए पर्याप्त अवसर होने के बावजूद सुविधा के अभाव के चलते मछुआरों को कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। जिले में सुसज्जित मछली मंडी न होने की वजह से मत्स्य उद्योग करने वालों को कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। इन्हें बिना ब्याज के ऋण भी मुहैया नहीं करवाया जा रहा है।
-शफीउल्ला, निदेशक, मत्स्य उद्योग सहकारी संघ मेदरहल्ली
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