बैंकों में कन्नड़ भाषा को दें प्राथमिकता
हुबलीPublished: Dec 30, 2020 11:36:05 pm
बैंकों में कन्नड़ भाषा को दें प्राथमिकता
बैंकों में कन्नड़ भाषा को दें प्राथमिकता
बैंकों में कन्नड़ भाषा को दें प्राथमिकता
-जिलाधिकारी नितेश पाटील ने दिए निर्देश
हुब्बल्ली-धारवाड़
जिलाधिकारी नितेश पाटील ने कहा है कि बैंकों में कन्नड़ भाषा को प्राथमिकता देते हुए त्रिभाषा सूत्र का पालन करना अनिवार्य है। वे धारवाड़ के जिला पंचायत सभा भवन में जिला स्तरीय बैंकों की प्रगति समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि जिले में अधिकतर बैंकों में पढ़ोसी राज्यों के अधिकारी व कर्मचारी कार्यरत हैं। उन सभी को कन्नड़ भाषा सीख कर स्थानीय लोगों से स्थानीय भाषा में ही बातचीत करने के जरिए ग्रामीण लगों को बैंकिंग के दायरे में लाना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर भाषा की समस्या के कारण ग्रामीण लोगों के बैंकिंग क्षेत्र से बाहर रहने की सम्भावना है। डीडी., चालान समेत बैंक के सभी आवेदनों के नमूनों को त्रिभाषा सूत्र में प्रकाशित करना चाहिए। नेम बोर्ड पर सब से ऊपर कन्नड़ भाषा का उपयोग करना चाहिए।
जिलाधिकारी ने कहा कि जिले के वाणिज्य एवं ग्रामीण बैंकों में हालही में पढ़ोसी राज्यों के अधिकारी तथा कर्मचारियों की नियुक्ति हुई है। इनके खिलाफ रोजमर्रा के बैंक कारोबार में कन्नड़ भाषा का प्रयोग नहीं करने के बारे में ग्रामीणों से शिकायतें मिल रही हैं। कर्मचारियों के इस बर्ताव से ग्रामीण बैंकों से दूर रहकर निजी फाइनांस कंपनियों से ऋण लेने को मजबूर हो रहे हैं। इससे कई समस्याएं उपज रही हैं। इसके चलते बैंकों को सभी को एक साथ लेकर कारोबार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि त्रिभाषा सूत्र का पालन, कन्नड़ भाषा का उपयोग बैंकों में अनिवार्य तौर पर क्रियान्वयन करना चाहिए। इन नियमों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर उसकी जानकारी सभी शाखाओं को देनी चाहिए। ऐसा करने पर ही जागरूकता आएगी। ग्रामीणों का आर्थिक साक्षरता होना जरूरी है। निरक्षर तथा ग्रामीणों को बैंकिंग क्षेत्र में शामिल नहीं करने पर आर्थिक समस्या हो सकती है।
मुआवजा राशि ऋण में जमा ना करें
जिलाधिकारी ने कहा कि सूखा तथा बाढ़ के दौरान फसल नुकसान, मकानों के क्षतिग्रस्त होने से किसान आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। अन लोगों को सरकार की ओर से दिए जाने वाले मुआवजे की राशि को बैंक उनके ऋण खाते जमा नहीं करना चाहिए। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना के तहत मजदूरी करने वाले श्रमिकों को दी जाने वाली राशि को भी कुछ बैंकों की ओर से उनके ऋण खाते में जमा करने की शिकायतें मिल रही हैं। बैंकों के इस बर्ताव से मजदूर मनरेगा से भी दूर हो कर निजी भू मालिकों के पास मजदूरी करने को मजबूर हो रहे हैं।
शैक्षणिक ऋण नहीं देने की शिकायतें
जिलाधिकारी ने कहा कि मुआवजे की राशि ऋण खाते में जमा करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है, इसकी रिपोर्ट आगामी बैठक में लाना जरूरी है। इतना ही नहीं अधिकतर बैंकों के खिलाफ जरूरतमंदों को शैक्षणिक ऋण नहीं देने की शिकायतें मिल रही हैं। स्वयं सेवी संघों को खाता खोलने के दौरान बिना वजह परेशान नहीं करना चाहिए। न्यूनतम दस्तावेज लेकर बेसिक बचत खाता या बचत खाता खुलवाने में मदद करना चाहिए। सभी के लिए पर्मनेंट अकाउंच नंबर अनिवार्य नहीं करना चाहिए। बैंकों में स्थानीय भाषा का उपयोग नहीं करने वाले तथा हेल्प डेस्क के जरिए निरक्षर उपभोक्ताओं की मदद नहीं करने वाले बैंक शाखाओं के अधिकारियों तथा कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर उसकी जानकारी मीडिया में दी जाएगी।
जिला पंचायत की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डॉ. सुशीला ने कहा कि सभी सरकारी कर्मचारियों पर सरकार की योजनाओं को सफल बनाने की जिम्मेदारी होती है। रोजगार के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य को आना अनिवार्य है। विशेष तौर पर ग्रामीण लोगों के संपर्क में आने वाली सेवा क्षेत्र बैंकिंग अधिकारियों तथा कर्मचारियों को कन्नड़ भाषा का उपयोग करना तथा स्थानीय लोगों से उनकी मातृ भाषा में बातचीत करना अनिवार्य है। बैंकिंग नियुक्ति नियमों में कन्नड़ पढाई अनिवार्य नहीं होने के बावजूद स्थानीय भाषा को जानना जरूरी है। उत्कृष्ट सेवा देने के लिए स्थानीय भाषा में बातचीत करना बेहद जरूरी है। आर्थिक साक्षरता शिविरों को सभी बैंकों को और प्रभावी रूप से आयोजित करना चाहिए। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना से आम उपभोक्ताओं को मिलने वाली सुविधाओं को नियमित रूप से उपलब्ध करना चाहिए।
धारवाड़ जिला राज्य में प्रथम
जिला लीड बैंक के मुख्य प्रबंधक आर. अण्णय्या ने कहा कि ठेला व्यापारियों को आर्थिक मदद दी जाने वाली प्रधानमंत्री स्व निधि योजना क्रियान्वयन में धारवाड़ जिला प्रथम स्थान पर है जो अत्यंत संतोषजनक बात है।
बैंक ऑफ बरोडा के प्रादेशिक प्रबंधक मति चक्रवर्ति, नबार्ड उप महा प्रबंधक मयूर कांबले आदि उपस्थित थे।
नबार्ड ऋण योजना की घोषणा
जिलाधिकारी ने वर्ष 2021-22 के नबार्ड धारवाड़ जिले के लिए तैयारी की गई 9 हजार 473 करोड रुपए की वार्षिक ऋण योजना जारी की। कृषि क्षेत्र को 57.23 प्रतिशत, लघु एवं मध्यम औद्योगिक क्षेत्र को 34.07 निर्यात क्षेत्र, शिक्षा एवं गृह निर्माण क्षेत्र को 7.83 प्रतिशत इस योजना में वर्गिकृत किया गया है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि उपज को प्रोत्साहित करने की दिशा में इस योजना को तैयार किया गया है।