लालच मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन[typography_font:14pt;” >कराड़जैन आचार्य महेन्द्रसागर सूरि ने कहा कि लालच मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है। वे, श्री राजस्थानी जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ में श्रावक वार्षिक कर्तव्य उत्सव के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि लालची मनुष्य किसी के भी भरोसे के काबिल नहीं होता। वह अपने फायदे के लिए किसी के साथ भी धोखा कर सकता है। ऐसे व्यक्ति धर्म, अधर्म और पुण्य व पाप के बारे में नहीं सोचते। ये अपनी जरुरत या मतलब को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। इस तरह के लोग किसी को भी परेशानी में डाल सकते हैं। इसलिए खुद को लोभ से और लोभी से दूर रखना चाहिए। ऐसे लोग दूसरों का दु:ख देखकर सुखी होते हैं, जिन्हें दूसरों को परेशानी में या दु:ख में देखकर सुखानुभूति होती है। ऐसे लोग हर वक्त दूसरों को दु:ख पहुंचाने और मुसीबत खड़ी करने के बारे में ही सोचते रहते हैं। वे खुद तो परेशानी में फंसते ही हैं साथ ही दूसरों के लिए भी परेशानी का कारण बनते हैं। इनकी बातों में कभी नहीं आना चाहिए। छलकपट या कपटी से भी दूर रहना चाहिए। छलकपट की भावना कई लोगों के मन में रहती है। ऐसे लोग लालची और कपटी होते हैं। कपटी अपना मतलब पूरा करने के लिए किसी के भी साथ गलत काम करने में देरी नहीं लगाते हैं। ऐसे लोगों को न तो किसी के प्रति अपनेपन की भावना होती है और न ही इन्हें किसी से प्रेम होता है। ये सिर्फ छलकपट करके अपना काम करने में विश्वास रखते हैं। आचार्य ने कहा कि आप लोग न कपट करें और न कपटी इंसान पर भरोसा करें। अहंकार और अहंकारी से भी दूर रहें। सामाजिक जीवन में सभी के लिए कुछ सीमाएं होती हैं। अहंकार के कारण ही व्यक्ति कभी दूसरों की सलाह नहीं मानता और अपनी गलती स्वीकार नहीं करता। ऐसा आदमी अपने लोगों को दु:ख देने वाला होता है। इसलिए मनुष्य को अहंकारियों की संगत से दूर रहना चाहिए और न ही खुद अहंकारी बनना चाहिए।