कर्नाटक में दो चरणों में मतदान होना है। राज्य में मतदान का पहला चरण 26 अप्रेल तथा दूसरा चरण 7 मई को होगा। पहले चरण में 14 सीटों तथा दूसरे चरण में भी इतनी ही सीटों के लिए मतदान होगा। इन चुनावों में जातिगत समीकरण भी काफी मायने रखते हैं। लिंगायत प्रभावशाली समुदाय है। दोनों प्रमुख दलों ने इस बार भी इस समुदाय को साधने के लिए बड़ी संख्या में टिकट दिए हैं। राज्य की दूसरे चरण की जिन 14 सीटों पर मतदान होना है उसमें 10 सामान्य सीटें हैं। यहां अनुसूचित जनजाति वर्ग का वोट करीब 8 फीसदी है। बेलगाम, चिक्कोड़ी, बीदर, कोप्पल एवं दावणगेरे में करीब 10 फीसदी है। जिस तरह दक्षिण में कुरुबा समुदाय है उसी तरह से उत्तर में अनुसूचित जनजाति वर्ग है। ये सभी सीटों में समान रूप से फैले हुए हैं। दूसरे चरण में जिन 14 सीटों पर चुनाव होगा उनमें से बेल्लारी एवं रायचूर अनुसूचित जनजाति के लिए तथा गुलबर्गा एवं बीजापुर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। कांग्रेस एवं भाजपा दोनों ही इस वोट बैंक के अपने पक्ष में होने के दावे कर रहे हैं। कांग्रेस के सतीश जारकीहोली एवं भाजपा के बी. श्रीरामुलू अपने समुदाय की अगुवाई कर रहे हैं।
कांग्रेस ने अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं के वोट हासिल करने के लिए लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली को जिम्मेदारी दी है। जारकीहोली की बेटी प्रियंका चिक्कोड़ी से कांग्रेस उम्मीदवार है। उनका मुकाबला भाजपा के मौजूदा सांसद अन्ना साहेब जोले से हैं। जोले लिंगायत है। भाजपा की जिम्मेदारी श्रीरामुलू संभाल रहे हैं। श्रीरामुलू की लोकप्रियता का फायदा भाजपा को मिल सकता है। वे बल्लारी से चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के ई. ठुकराम से हैं। हालांकि कांग्रेस के नेता दबी जुबान में इस बात को स्वीकार करते हैं कि अनुसूचित जनजाति का वोर्ट महत्वपूर्ण है लेकिन अन्य समुदाय के समर्थन की भी उतनी ही जरूरत है। हमारा मकसद जाति एवं समुदाय के बिना सभी तरह के मतदाताओं तक पहुंच बनाना है।