[typography_font:18pt;” >हुब्बल्लीविचारक, शोधकर्ता तथा साहित्यकार डॉ. एमएम कलबुर्गी हत्या मामले की जांच पूरी हो चुकी है। अदालत को 6 00 से अधिक पन्नों का आरोप पत्र सौंपा गया है। एसआईटी अधिकारियों ने शनिवार को धारवाड़ के तृतीय अतिरिक्त जेएमएफसी न्यायालय को आरोप पत्र सौंपा है।आरोप पत्र में उल्लेख किया गया है कि पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या में प्रथम आरोपी अमोल काळे, कलबुर्गी की हत्या में भी प्रथम आरोपी है। अमोल काळे समेत छह आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र सौपा गया है। पुलिस ने कहा है कि कलबुर्गी की हत्या में पुणे के अमोल काळे, हुब्बल्ली के गणेश मिस्किन, अमित बद्दी, बेलगावी शहापुर के प्रवीण चतुर, महाराष्ट्र के वासुदेव सूर्यवंशी, शरद कालस्कर इन छह आरोपियों की हत्या में भूमिका साबित हुई है। इनके खिलाफ आरोप पत्र सौंपा गया है। आरोप पत्र में भगवान पर मूत्र करने का कलबुर्गी की ओर से दिया गया बयान हत्या का कारण बताया गया है। आरोप पत्र के अनुसार हुब्बल्ली में वर्ष 2015 में धर्म रक्षा करने का कार्य करने के बारे में प्रमुख बैठक हुई थी। इस बैठक में अमोल, काळे, गणेश मिस्किन, अमित बद्दी शामिल थे। गणेश मिस्किन ने बताया था कि इस दौरान शोधकर्ता एवं साहित्यकार एमएम कलबुर्गी ने भगवान पर मूत्र करने के बारे में बयान दिया था। उसे कलबुर्गी की हर गतिविधि व बयान को संग्रह करने के निर्देश दिए गए थे। गणेश ने तीन माह तक एमएम कलबुर्गी के बारे में सर्वे कर रिपोर्ट दी थी। इसके बाद अमोल काळे ने भी कलबुर्गी के बयानों को संग्रह किया था। इसके बाद सूर्यवंशी को दुपहिया वाहन चुराने को कहा, इसके तहत सूर्यवंशी ने हुब्बल्ली में दुपहिया वाहन चुराकर लाया। इसी दुपहिया वाहन का इस्तेमाल कर हत्यारों ने कलबुर्गी की हत्या की थी। इन सभी विषयों को एसआईटी अधिकारियों ने आरोप पत्र में उल्लेख किया है। 30 अगस्त 2015 को एमएम कलबुर्गी की हत्या हुई थी। धारवाड़ के कल्याण नगर स्थित उनके घर आए समाजकंठकों ने गोली चलाकर हत्या की थी। इस मामले की जांच बीके सिंह के नेतृत्व में एसआईटी को सौंपी गई थी। अज्ञात संगठन के सक्रिय कार्यकर्ता छह आरोपी सनातन संस्था की ओर से प्रकाशित क्षात्र धर्म साधने नामक पुस्तक के सिध्दांतों का पालन कर रहे थे। अपने विश्वास तथा सिध्दांतों के विरोधियों को निशाना बनाकर वे उन्हें दुर्जन में शामिल कर हत्या करते थे। कर्नाटक तथा महाराष्ट्र के विभिन्न जगहों पर खुफिया बैठक कर संगठन के सदस्य शारिरिक एवं हथियार का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे। साथ ही नाम बदलकर घूमने का आरोप पत्र में उल्लेख किया गया है। काळे, मिस्किन व चतुर ने वर्ष 2015 के जनवरी से मई तक हुबली के इंदिरा ग्लास हाउस के पास कई बार बैठक कर डॉ. कलबुर्गी की हत्या के बारे में चर्चा की थी। दक्षिण कन्नड़ जिले के पिलाचबेट्टु गांव के रबर के बगीचे में मिस्किन तथा चतुर को देशी पिस्तौल से गोली चलाने का प्रशिक्षण काळे ने दिया था। अगस्त के दूसरे सप्ताह कलबुर्गी की हत्या के लिए उन्होंने अंतिम तैयारी की थी। इसके लिए 7.6 5 एमएम की देशी पिस्तौल इन दोनों को दी गई थी। 30 अगस्त सुबह 7 बजे इंदिरा ग्लास हाउस के पास काळे, मिस्किन तथा चतुर ने मिलकर तैयारियों को अंतिम रूप दिया। चतुर ने काळे को दुपहिया वाहन दिया। सुबह 8 .30 बजे धारवाड़ के कल्याण नगर स्थित डॉ. एमएम कलबुर्गी के घर जाकर उनके माथे पर मिस्किन ने दो बार गोली चलाई व चतुर के साथ दुपहिया वाहन से फरार हो गया। उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत मार्च 2019 में एसआईटी को जांच सौंपी। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बीके सिंह के नेतृत्व में टीम ने जांच की थी।