छात्रावास का अभाव बना विद्याध्यन में बाधा[typography_font:14pt;” >धारवाड़-हुब्बल्लीशिक्षा हासिल करने के लिए विद्याकाशी धारवाड़ आने वाले विद्यार्थियों की संख्या में हर साल वृद्धि होने के बावजूद छात्रावासों की उपलब्धता के लिए कोई भी गंभीर नहीं है। यह समस्या दिन ब दिन गहरा रही है। ऐसे में कई विद्यार्थियों को वापस अपने गांव या शहर लौटना पड़ रहा है। हुब्बल्ली-धारवाड़ स्थित शिक्षा संस्थाओं में शिक्षा हासिल करने के लिए आसपास के जिले के ही नहीं बल्कि बाहरी राज्य तथा बाहरी देशों से भी काफी संख्या में विद्यार्थी आ रहे हैं। यहां पर आवश्यकता अनुसार छात्रावास सुविधा नहीं होने के कारण विद्यार्थियों को पेइंग गेस्ट सुविधा का सहारा लेना पड़ रहा है। अभिभावकों के मुताबिक कई गरीब विद्यार्थियों को पैसों की कमी के कारण उच्च शिक्षा से ही पीछे हटजाते हैं। उत्तम अंक प्राप्त कर कालेजों का चयन कर आने के बावजूद उनको आवासीय सुविधा नहीं मिलने पर वापस अपने गांव लौटने के काफी उदाहरण हैं। फिलहाल की चयन प्रक्रियाएं एक प्रतिष्ठा का विषय बनकर उभरने के कारण सक्षम विद्यार्थियों को आवासीय सुविधाओं से दूर रहने की स्थिति बन रही है। जिला पंचायत के कई सदस्य साधारण सभा में यह मुद्दा उठा चुके हैं। किराए के भवनों के लिए भी पिछड़े वर्गों के विभाग की ओर से प्रति माह 50 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि इसको छोडेंगे तो दूसरा नहीं मिलेगा के विचार में यहीं रहकर शिक्षा हासिल कर रहे हैं। धारवाड़ जिले में बीसीएम की ओर से 67 छात्रावास हैं। इनमें 36 किराए के भवन तथा 31 खुद के भवन हैं। समाज कल्याण विभाग की ओर से 14 हॉस्टलों में से 7 स्वयं, 8 किराए के, अल्पसंख्यक विभाग के 8 छात्रावासों से 4 खुद के तथा 4 किराए के भवनों में हैं। बीसीएम की ओर से पांच छात्रावासों, समाज कल्याण विभाग की ओर से 6 तथा अल्पसंख्यक विभाग की ओर से दो छात्रावासों की मांग की गई है। विधायक अरविंद बेल्लद तथा अमृत देसाई के क्षेत्र में ही छात्रावास हैं, परंतु छात्रावासों के प्रवेश के लिए द्वितीय चयन सूची भी प्रकट नहीं हुई। इसके चलते रोजाना सुबह होते ही छात्रावास में प्रवेश की मांग को लेकर दूसरे गांवों से आए विद्यार्थी समाज कल्याण विभाग, बीसीएम विभाग तथा अल्पसंख्यक विभाग के सामने सूची देखने पहुंच जाते हैं। छात्रावासों में प्रवेश की मांग को लेकर आवेदन किए गए विद्यार्थियों को मेरिट के आधार पर सीट नहीं मिल रही है का आरोप है। सरकार से नहीं मिल रही मंजूरीपिछड़ा वर्गों के कल्याण विभाग (बीसीएम), समाज कल्याण विभाग तथा अल्पसंख्यक विभाग के तहत धारवाड़ जिले में 100 छात्रावास होने के बावजूद कम पड़ रहे हैं। हर साल छात्रावासों की मांग दोगुना हो रही है। इसके बावजूद सरकार की ओर से मंजूरी नहीं मिल रही है। सरकार को सौंपा है प्रस्तावशहर क्षेत्रों में छात्रावासों के लिए मांग अधिक हो रही है। आवेदन करने वाले सभी विद्यार्थियों को प्रवेश देने के लिए छात्रावासों में जगह नहीं है। इसके चलते सरकार को छह छात्रावासों के निर्माण करने का प्रस्ताव सौंपा गया है। -नवीन शिंत्री, सह निदेशक, समाज कल्याण विभाग धारवाड़।